Love in Library
खामोश निगाहें,खमोशी में,खामोशी से पढ़ती थी,
खामोश मोहब्बत,खामोशी से,चोरी चोरी तकती थी।
Love in library की शुरुआत कुछ ऐसी होती थी,
लफ़्ज़ों वाली बातें सारी, खामोशी ही करती थी ।।
पुस्तक के पन्नो को कुछ ऐसे,पेंसिल से गूदा जाता था,
अदल बदल कर पुस्तक को,संदेशा समझा जाता था।
गिरती उठती पलकों वाली,क़ातिल अदाएं होती थी,
नज़र- नज़र की भाषा में,प्यार पढ़ाया जाता था।।
चलती फिरती लाइब्रेरी,अब सबके हाथ मे होती है,
google जी के पास,लगभग सारी किताबें होती है।
लाइब्रेरी के दरवाजे पर,अब आमद कम ही होती है,
युवा वर्ग के प्रेमालाप को,जगह ये बेहतर होती है।।
पुस्तक के पन्नों पर बिखरा, सूखे फूल सा प्यार पुराना,
गैजेट्स की भेंट चढ़ गया,Love in Library वाला ज़माना।।
🙏🙏🙏✍️गौरव
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