Sunday 26 July 2020

रिश्तों का भरम गाना

रिश्तों का भरम

गाना


मुखड़ा:-


रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा
मुसीबतों में जिनका सहारा ना मिला
रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा


अंतरा -1


मैंने पाला था, जिनको पोसा था,
मेरे दिल के वो ,प्यारे टुकड़े थे,
थे वो उम्मीद ,मेरे जीवन की
वो थे लाठी मेरे, बुढ़ापे की
अब जो मैं बूढ़ा हो चला
शीशे के टुकड़ों सा, काम का ना रहा...
रिश्तों का भरम ,पाल के बैठा मैं रहा...


अंतरा- 2


मैंने महफ़िल सजाई तुम्हारें लिए
तेरे सुख दुख में साथ, मैं था खड़ा
मैंने कुर्बान की थी रातें कई
ताकि तुमको मुकाम मिल जाये
साथ देता रहा मैं, तुम्हारा मगर
इस बुढ़ापे में फिर भी तन्हा मैं रहा...
रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा...


अंतरा-3


तिनका तिनका जोड़, जो बनाया था घर
मेरे बच्चों, वो भी ,तुमको सौंप दिया
मेरे मरने की भी सबर ना हुई
मुझको अनाथों सा, तुमने छोड़ दिया
हम तो माँ बाप है, तुम कपूत सही
फिर भी तुम पर सदा आशीर्वाद रहा...
रिश्तों का भरम पाल के बैठा मैं रहा.....

रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा
मुसीबतों में जिनका सहारा ना मिला
रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा।।🙏


✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश



1 comment:

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