एक मुलाक़ात जरूरी है सनम
आ भी जा के मैं, तेरी राह देखता हूँ,
तेरे इंतज़ार में नब्ज, बार बार देखता हूँ!!!!
बनके झोंका हवा का, आ ना जाये कही,
इसलिए इन दरख्तों को, लगातार देखता हूँ!!!!
बनके बारिश, मुझे भिगो न दे कही,
तो मैं ये फलक, बेशुमार देखता हूँ।।
आ भी जा के मैं, तेरी राह देखता हूँ,
तेरे इंतज़ार में नब्ज, बार बार देखता हूँ,!!!!
इन पत्तों की सरसराहट में,
तेरी पायल की झनक है,
इस झरने की कल-कल में,
तेरी चूड़ियों की खनक है,
कोयल की कूक में,तेरी आवाज सुनता हूँ,
और इस चाँद में, चेहरा-ए-यार देखता हूँ,
आ भी जा कि मैं, तेरी राह देखता हूँ,
तेरे इंतज़ार में नब्ज, बार बार देखता हूँ!!!!
दिल के जख्मो पे जो लगा दे मरहम,
ऐसी एक मुलाक़ात जरूरी है सनम,
फिर ना हो जुदाई तेरे आने के बाद,
बस यही एक बात,बार बार सोचता हूँ,
आ भी जा कि मैं, तेरी राह देखता हूँ,
तेरे इंतज़ार में नब्ज, बार बार देखता हूँ!!!!✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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