Sunday 26 July 2020

ग़ज़ल- 💞अधूरे ख्वाब💞

💞अधूरे ख्वाब💞


कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,


कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ,


तेरे लिये लिखे खतों में मेरी दास्ताँ,


भेजूं तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही लापता,


मिट जाएं गर तो रख दूँ मैं, इन्हें चेहरे से मिटा,


मेरे अक्स पर बने जो तेरे, अक्स के निशां,


है कश्मकश ये, मुझमे, और मेरे दिल के दरमियाँ,


ख़ुशनुमा सिला मिले अगर, तो कर दूँ मैं बयाँ,


कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,


कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ...✍️गौरव


भोपाल मध्यप्रदेश



No comments:

Post a Comment