Sunday, 26 July 2020

ग़ज़ल- 💞अधूरे ख्वाब💞

💞अधूरे ख्वाब💞


कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,

कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ,

कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,

कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ,


Verse 1

तेरे लिये लिखे खतों में मेरी दास्ताँ,

भेजूं तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही लापता,

तेरे लिये लिखे खतों में मेरी दास्ताँ,

भेजूं तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही लापता,

कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,

कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ,

Verse 2

मिट जाएं गर तो रख दूँ मैं, इन्हें चेहरे से मिटा,

मेरे अक्स पर बने जो तेरे, अक्स के निशां,

मिट जाएं गर तो रख दूँ मैं, इन्हें चेहरे से मिटा,

मेरे अक्स पर बने जो तेरे, अक्स के निशां,

कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,

कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ,

Verse 3

है कश्मकश ये, मुझमे, और मेरे दिल के दरमियाँ,

ख़ुशनुमा सिला मिले अगर, तो कर दूँ मैं बयाँ,

कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,

कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ.

Outro 

कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,

कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ

भोपाल मध्यप्रदेश



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