Thursday, 3 July 2025

एक बार फिर वैसे मिलें

 

फिर एक बार वैसे मिलें

✍️ — गौरव

चलो एक बार फिर वैसे मिलें

जैसे मिले थे पहली दफा,

ना हो कोई पर्दा बातों में,

ना हो दरमियाँ कोई फासला

चलो एक बार फिर वैसे मिलें

जैसे मिले थे पहली दफा,


तुम मुस्कुराओ वैसे ही,

मुझे देख शरमाओ वैसे ही,

परत दर परत खुलो मुझसे,

मुझ पर हक जताओ वैसे ही


वो चुप्पियाँ फिर से बोले ज़रा,

सांसों का शोर हो हर जगह,

नज़रों की जुबां फिर समझने लगें

इशारों में हाले-दिल कर दें बयां

चलो एक बार फिर वैसे मिलें

जैसे मिले थे पहली दफा,


भूलकर आज और आने वाला कल,

चलो फिर से जी लें बीता हुआ कल,

ना कोई शिकवा, ना कोई सवाल,

बस याद करें वही प्यार भरे पल।


दोनों को मिलें प्यार के 

फिर वही निशां,

जैसे मिले थे 

पहली दफा,

चलो एक बार फिर वैसे मिलें

जैसे मिले थे पहली दफा,

✍️गौरव

04.07.2025

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