Thursday 30 July 2020
आइसक्रीम पार्लर वाली लड़की कहानी
Monday 27 July 2020
तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
अब मै तन्हा कहाँ रहता हूँ,
जहां भी रहता हूँ, तुम्हारा साथ होता है,
अपनो की भीड़ में या परायों की महफ़िल में,
मेरे दिल मे तुम्हारी यादों का जज्बात होता है,
अब मै तन्हा कहाँ रहता हूँ,
जहां भी रहता हुँ, तुम्हारा साथ होता है।।
तुमसे मोहब्बत के अनकहे,
वो सारे ख्यालात,
तुम्हारे बिना जो अधूरे है,
वो सारे ख़्वाब,
रहते है, अब भी साथ मेरे और,
तुम्हारा इंतज़ार होता है,
अब मै तन्हा कहाँ रहता हूँ
जहां भी रहता हुँ, तुम्हारा साथ होता है।।
ज़िन्दगी की मुश्किलों में,
जब फंसता हूँ,
अपनी जगह तुम्हें रखकर,
सोचता हूं,
तुम्हारे विचारों से घुला मिला,
मेरा नज़रिया होता है,
अब मै तन्हा कहाँ रहता हूँ,
जहां भी रहता हुँ, तुम्हारा साथ होता है।।
मन से मन जुड़ा हो जहां,
वो रिश्ता खास होता है,
दूरियों में भी नज़दीकियों का,
अहसास होता है,
अब मै तन्हा कहाँ रहता हूँ,
जहां भी रहता हुँ, तुम्हारा साथ होता है
जहां भी रहता हुँ, तुम्हारा साथ होता है।।
🙏🙏🙏✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
Sunday 26 July 2020
ग़ज़ल- 💞अधूरे ख्वाब💞
💞अधूरे ख्वाब💞
कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,
कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ,
तेरे लिये लिखे खतों में मेरी दास्ताँ,
भेजूं तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही लापता,
मिट जाएं गर तो रख दूँ मैं, इन्हें चेहरे से मिटा,
मेरे अक्स पर बने जो तेरे, अक्स के निशां,
है कश्मकश ये, मुझमे, और मेरे दिल के दरमियाँ,
ख़ुशनुमा सिला मिले अगर, तो कर दूँ मैं बयाँ,
कुछ ख्वाब अधूरे से है, मेरी पलकों पर जमा,
कह दूँ तुम्हे या रहने दूँ, इन्हें यूँही बेजुबाँ...✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
💔फिर कब मिलेंगें ?💔 गाना
💔फिर कब मिलेंगें ?💔
गाना
मुखड़ा-
आज हम हो रहे है,जुदा
फिर कब मिलेंगे,क्या पता
तेरे मेरे प्यार की
दुनिया सुनेगी दास्ताँ,
आज हम हो रहे है,जुदा
फिर कब मिलेंगे,क्या पता....
अंतरा -1
मोहब्बत की अपनी सारी बहारें
पतझड़ में भी साथ रहें,
हम दोनों को, प्यार के वादे,
बिछड़न में भी याद रहें,
ऐसे निभाये, ये दूरियाँ
ना तू हो,ना मैं, बेवफ़ा...
आज हम हो रहे है,जुदा
फिर कब मिलेंगे,क्या पता...
अंतरा -2
बचपन की है,कहानी अपनी,
जवानी में आकर,फसाना बनी,
तुम्हारी हमारी सारी बातें,
टूटे दिलों का तराना बनी,
कभी कोई पूछे,क्या है मोहब्बत
मेरे लिए, तुम, रहोगे सदा...
आज हम हो रहे है,जुदा,
फिर कब मिलेंगे,क्या पता...
तेरे मेरे प्यार की
दुनिया सुनेगी दास्ताँ,
आज हम हो रहे है,जुदा
फिर कब मिलेंगे,क्या पता....🙏
समाप्त
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
शहीद की पत्नी🙏
🙏शहीद की पत्नी🙏
तुम शहीद हुए, मैं शहीद की पत्नी हुई,
मेरी ये पहचान, सरकारी कागज़ में सिमट गई,
क्या सच मे ऐसा हुआ,
तुम बिन कैसे रहूंगी मैं ज़िंदा,
मैं भी तो संग संग,तुम्हारे शहीद हुईं।
मेरे मन का प्रेम भाव,
शहीद हुआ,
मेरे तन का आकर्षण,
शहीद हुआ,
तुम्हारे संग गुज़ारे लम्हो की,
यादों से जिंदा हूँ,
वरना मेरे वजूद का,
क्षण क्षण शहीद हुआ,
मेरा सजना सँवरना,
शहीद हुआ,
मेरे कपड़ो का रंग,
सफेद हुआ,
तुम्हारा प्यार आँखों मे ज़िंदा है,
मेरी आँखों का इंतज़ार,
शहीद हुआ।
तुम आये तिरंगे में लिपट के,
रँगा था तुमने मुझे सिंदूर से,
अंतिम बार तुम्हे देखने की चाहत थी,
पर सिर भी कहां था,
तुम्हारी लाश पे,
छलनी शरीर से लगता था ऐसे,
रिस गई थी मैं भी छिद्रों से,
वचन तुम्हे ये देती हूं,
सौगंध तुम्हारी लेती हूँ,
ना रोऊंगी ना टूटूंगी,
कमी तुम्हारी पूरी करूंगी,
तुम्हारे ख़ून की बूंद को भी,
सरहद पर लड़ने भेजूंगी,
शहीद की पत्नी के संग संग,
मैं शहीद की माँ भी कहलाऊंगी।।🙏🙏🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
दर्द-ए-डॉक्टर
दर्द-ए-डॉक्टर
बहुत पढ़े होंगें आपने,
प्रेम कथाओं के वर्णन
जीवन चरित्रों के चित्रण,
विरह वेदना के मंथन
अब मेरी, व्यथा भी समझिये
कीजिये कुछ, इस पर चिंतन....
हूँ, शासकीय सेवा में
चिकित्सक धर्म निभाता हूँ,
कोरोना संदिग्धों की जाँच मै करता
घर घर दवा बंटवाता हूँ...
कितने ही दिन बीत गए,
ना देखा अपनी गुड़िया को,
मेरा नन्हा मुन्ना राजा
है दस माह का होने को...
गोद में छोड़ के आया जिसको
वो अब चलना सीख गया,
आ बा डा बा करने वाला
पापा पापा सीख गया...
घर से मेरी बूढ़ी अम्मा
करके फोन बुलाती है,
विरह वेदना से पीड़ित
मेरी पत्नी मुझे रुलाती है...
पापा तुम कब आओगे
बिटिया, पूछती बातों बातों में
कैसे बता दूँ तुमको बेटा
ये नही है मेरे हाथों मे,
बिस्किट, चॉकलेट ,आइसक्रीम सब
लेकर इक दिन आता हूँ
झूठी मूठी बातों से,
उसको विश्वास दिलाता हूँ...
पर अब मै, ये जान गया
सरकारो ने भी माना है
खत्म ना होगा कोरोना ये
इसके साथ ही जीते जाना है...
तो खत्म करो, ये तालाबंदी
उठाओ, हम पर से पाबंदी
अवकाशों की स्वीकृति देकर
घर जाने की दो रज़ामंदी...
तन मन से हूँ थका हुआ
अब नही बची, सहने की शक्ति
अब नही बची, सहने की शक्ति..🙏🙏🙏✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
तुम अपना ख्याल रखना
💖तुम अपना ख्याल रखना💖
प्यार नही है,तो ना सही,
पर मुझसे, हाल चाल रखना,
क्या कोई और, चाहेगा इतना,
दिल मे ये, सवाल रखना,
इस वक्त हूँ, दूर मैं तुमसे कहीं,
एहतियात, फिलहाल रखना,
मेरे जीने की, वजह हो तुम,
बस, तुम अपना ख्याल रखना...
तुम सांझ सी, तुम रात भी,
तुम नींद भी, तुम ख्वाब भी,
तुम चाँद की हो चांदनी,
तुम रागिनी, तुम रोशनी,
तुम प्रेम की जैसे नदी,
मेरे लिए तुम ज़िन्दगी,
मेरे गीतों के लिए,
अपनी सांसो की, सुर ताल रखना,
मेरे जीने की, वजह हो तुम,
बस, तुम अपना ख्याल रखना,
तुम अपना ख्याल रखना...✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
💕कान्हा जी💕
💕कान्हा जी💕
मुखड़ा:-
कर्मों की कश्ती पर बैठा,
"श्री गीता" की पतवार लगा दो,
भव सागर के बीच फंसा हूँ,
कान्हाजी मुझे पार लगा दो...
अंतरा-1
दुखहर्ता सुखकर्ता तुम ही,
कर्मों का निर्धारण करते हो,
पापी है जो जन्म जन्म के,
तुम सबका तारण करते हो,
मायाजाल के बीच फंसा हूँ,
बुद्धि मेरी सतकार्य लगा दो,
भव सागर के बीच फंसा हूँ,
कान्हाजी मुझे पार लगा दो,
अंतरा-2
अधर्म से मुक्त कराने का,
पाप धरा से मिटाने का,
वचन दिया था आने का,
संसार को बचाने का,
समय हो गया है, अब प्रभु,
अपना इक अवतार दिखा दो,
भव सागर के बीच फंसा हूँ,
कान्हाजी मुझे पार लगा दो,
कान्हाजी मुझे पार लगा दो
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
माँ से आरम्भ माँ पे अंत
माँ से आरम्भ माँ पे अंत
तुमसे ही आरम्भ मेरा,
तुमपे ही तो अंत है,
गीत हो चाहे हो जीवन
सब तुम्हारे संग है,
तुमसे ही आरम्भ मेरा,
तुमपे ही तो अंत है,
ओ माँ मेरी माँ....
मेरी उंगलियां,पकड़कर
तुमने चलना सिखा दिया,
मेरे इशारो को समझकर,
शब्द गढ़ना बता दिया
दे कलम हाथों में मेरे,
लिखना मुझको सिखा दिया,
आज मैं लिखता हूँ जो भी,
सब तुम्हे अर्पण किया
मेरे तन मन मे घुला जो
तेरा ही तो रंग है,
तुमसे ही आरम्भ मेरा,
तुमपे ही तो अंत है,
ओ माँ.. मेरी माँ...
मैं अकेला कब रहा,
तुम साथ मेरे हर घड़ी,
मुश्किलों के दौर में
चट्टान बनकर तुम खड़ी,
इम्तिहान-ए-ज़िन्दगी में,
वीर बनकर तुम लड़ी,
हार ना मानो कभी
दी मुझको ये शिक्षा बड़ी,
तेरे आदर्श ही तो मेरी,
ज़िन्दगी का अंग है,
तुमसे ही आरम्भ मेरा,
तुमपे ही तो अंत है,
ओ माँ....मेरी माँ....💖🙏✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
💔मैं दिल का बुरा नहीं💔
💔मैं दिल का बुरा नहीं💔
मुखड़ा- मैं दिल का बुरा नहीं,मगर,
मुझे इतना बुरा बना दिया,
रिश्ते-नाते सब टूट गए,
किस्मत ने भी दगा दिया,
तेरे प्यार की हसरत ने,
मुझे सबसे जुदा करा दिया,
मैं दिल का बुरा नहीं, मगर
मुझे इतना बुरा बना दिया,
अंतरा-1
तेरी चाहत, तुझको मिली,
मुझको मिली, तन्हाइयां,
मेरे दामन पे दाग लगे,
मुझको मिली, रुसवाईयाँ,
दिल को सुकून,है फिर भी,
तुझे,हारकर मैं, जीत गया,
मैं दिल का बुरा नहीं,मगर,
मुझे इतना बुरा बना दिया,
अंतरा-2
नाम तुम्हारा, होंठो पर अब,
ना आएगा, फिर से कभी,
मेरे बुरा होने से,
तुम खुश रहोगी, तो ये भी सही,
खोकर तुम्हे, हासिल हुआ, मैं,
प्यार का मतलब सीख गया,
मैं दिल का बुरा नहीं,मगर,
मुझे इतना बुरा बना दिया-2....✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
!! मॉडर्न बन जा रे !!
!! मॉडर्न बन जा रे !!
सोच पुरानी रुढ़िवादी,
विकासधारा से भटकाती,
भेदभाव जो हमें सिखाती,
ज्ञान से वंचित हमें कराती,
छोड़के वो आडम्बर सारे,
नया दौर है बदल जा प्यारे,
modern बन जा रे,
मॉडर्न बन जा रे।।
प्रेम का भाव सबसे रख,
मात पिता से स्नेह रख,
आदर दे और आदर पा,
कभी किसी का दिल ना दुखा,
टेक्नोलॉजी जो दूर कराती,
उसका संयमित use कर ले,
प्रकृति जो जीना सिखाती,
उसका संयमित दोहन कर ले,
नया दौर है बदल जा प्यारे,
modern बन जा रे,
मॉडर्न बन जा रे।।
आधुनिकता की दौड़ लगी है,
नित नया संसार गढ़ी है,
स्वर्णिम इतिहास की यादों से,
सुनहरा नया भविष्य बना रे,
आध्यात्म को साथ मे रखके
क्षमताओं को अपनी बढ़ा ले
संकुचित विचारों की धारा से,
पीछे छूट ना जाना रे,
नया दौर है बदल जा प्यारे,
modern बन जा रे,
मॉडर्न बन जा रे।।✍️ गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
ग़ज़ल- मयकदा
मयकदा
पैमाना हाथ मे लिए मयकदे में बैठा हूँ
पीने के लिए आया था मगर बिना पिये बैठा हूँ।
उठाया था जाम लगाने को होंठो से फिर
याद आया "ना पीने की तेरी" कसम लिए बैठा हूँ।
आता हूँ इसलिए कही मयकदा भूल न जाये मुझे
मैं पीना ना भूल जाऊं, तो माहौल बनाये बैठा हूँ।
मयकदे की दुनिया मे नही अंजान कोई शक्स
सब नशे में है,मैं सबसे पहचान किये बैठा हूँ।
तेरी दुनिया मे शराबी कहते है मुझे
"मैं शराबी हूँ" यही गुमान किये बैठा हूँ।
अब हो गया नशा के बहुत सोच लिया तुझे
मैं आँखों मे तेरे नाम के जाम लिए बैठा हूँ।...✍️गौरव
कुदरत का अपराधी
कुदरत का अपराधी
खेल खेला प्रकृति से, और लाचार बन गया,
बन उसका अपराधी, गुनाहगार बन गया,
तरक्की की चाह में,उखड़ता रहा जड़ो से,
मनुष्य अपने रचे व्यूह का, शिकार बन गया।
जिसके हाथों में बंधी रस्सियों पे नाचता रहा,
उससे ख़िलाफ़त में भी तू उसका ही हथियार बन गया,
चला जो दांव कुदरत ने, अहम के खेल में,
टूटे मिट्टी के खिलौनों सा, बेकार बन गया। ✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
तुम इतनी सुंदर कैसे हो
तुम इतनी सुंदर कैसे हो
घनघोर घटायें लट में बाँधे,
मृगनयन सम सुंदर आँखें,
स्वर्णिम आभा वाले तन से,
दर्पण में प्रतिबिंब भी पूछे,
तुम इतनी सुंदर कैसे हो ?
तुम इतनी सुंदर कैसे हो ?
अधरों पर जैसे मधुशाला,
मय से भरे कपोल है,
गर्दन सुराहीदार बला की,
वक्ष उन्नत और सुडौल है।
कटि कमान पर बंधी चुनरिया,
मानो प्रत्यंचा जैसे हो,
चाल तुम्हारी वेधन करते,
बाणों की वर्षा, जैसे हो
तुम इतनी सुंदर कैसे हो ?
तुम इतनी सुंदर कैसे हो ?
प्रेम तुम्हारा मेरे मन मे,
प्रज्ज्वलित होता मेरे तन में,
तुम्हारे नेत्रों के दर्पण में,
जब जब श्रृंगार मैं करती हूं,
मैं तुमको सुंदर लगती हूँ,
मैं तुमको सुंदर लगती हूँ...✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
माँ मैं इतना बुरा नही
चाय यार फिक्र धुँआ
चाय यार फिक्र धुँआ
एक चाय की टपरी
यादों में गुजरती है,
ज़िन्दगी कॉलेज वाली
वापस नही लौटती है।।
टपरी की बेंच पर
पेड़ो की छांव में
यारों संग बैठना
चाय पर चाय आना
चाय के स्वाद में
बातों का स्वाद घुलना
बहुत याद आता है
"उस चाय की टपरी पर
यारों का मिलना"।।
मस्ती के किस्से
पढ़ाई की बातें
किसी हसीना की
अंगड़ाई की बातें
चाय की चुस्कियों पर
life plan करना
यारों संग धुँए में
हर फिक्र का उड़ना
बहुत याद आता है
"उस चाय की टपरी पर
यारों का मिलना"।।...✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
कहानी-देश के युवा की
कहानी-देश के युवा की
He loves me, he loves me not
She loves me, she loves me not
उलझा इसी झमेले में देश का युवा,
होड़ में लगा, दिखना चाहता है सबसे hot,
पढ़ी किताबे चार, विदेश जाने को बेक़रार।
देश के भविष्य की, देश जोह रहा बाट।।
पैदल ना चलना चाहे, चाहे पूरे ठाट-बाट।
माँ बाप के खून पसीने की, खड़ी कर रहा खाट।।
Pizza burger noodles को माने ये पकवान।
भूल गया घर मे बने, माँ के खाने का स्वाद।।
अक यू बक यू अंड शंड बकता अंग्रेज की औलाद।
मातृभाषा ना सीखी ना सीखा नैतिकता का पाठ।।
उसके इस बर्ताव का, अपराधी है कौन?
कौन कर रहा है, समाज को बर्बाद।।
कुछ पथभ्रष्ट के लिए,अन्यथा ना लें। धन्यवाद।
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
रिश्तों का भरम गाना
रिश्तों का भरम
गाना
मुखड़ा:-
रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा
मुसीबतों में जिनका सहारा ना मिला
रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा
अंतरा -1
मैंने पाला था, जिनको पोसा था,
मेरे दिल के वो ,प्यारे टुकड़े थे,
थे वो उम्मीद ,मेरे जीवन की
वो थे लाठी मेरे, बुढ़ापे की
अब जो मैं बूढ़ा हो चला
शीशे के टुकड़ों सा, काम का ना रहा...
रिश्तों का भरम ,पाल के बैठा मैं रहा...
अंतरा- 2
मैंने महफ़िल सजाई तुम्हारें लिए
तेरे सुख दुख में साथ, मैं था खड़ा
मैंने कुर्बान की थी रातें कई
ताकि तुमको मुकाम मिल जाये
साथ देता रहा मैं, तुम्हारा मगर
इस बुढ़ापे में फिर भी तन्हा मैं रहा...
रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा...
अंतरा-3
तिनका तिनका जोड़, जो बनाया था घर
मेरे बच्चों, वो भी ,तुमको सौंप दिया
मेरे मरने की भी सबर ना हुई
मुझको अनाथों सा, तुमने छोड़ दिया
हम तो माँ बाप है, तुम कपूत सही
फिर भी तुम पर सदा आशीर्वाद रहा...
रिश्तों का भरम पाल के बैठा मैं रहा.....
रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा
मुसीबतों में जिनका सहारा ना मिला
रिश्तों का भरम, पाल के बैठा मैं रहा।।🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
हिन्द के रणबाँकुरे
हिन्द के रणबाँकुरे
हिन्द के रणबाँकुरे,
जब उतरेंगे मैदान में,
नापाक पाक हो या चीन,
झंडा गाड़ेंगे शान से.....
और सुनो तुम चीनी पाकी,
इतना तुम्हे गरियाएंगे,
सुना पढ़ा के जैसे भी हो,
खून के आंसू रुलायेंगे.....
पीओके अक्साई चिन सब,
विवाद धरा रह जाएगा,
हद जो लांघी हमने तो,
तेरा नक्शा ही मिट जाएगा....
चीनी पाक परस्ती सारे
घर से खदेड़े जाएंगे,
आएंगे जितने आतंकी भी
सब के सब मारे जाएंगे....
हमारे वीरो की शौर्यगाथा,
बच्चे तुम्हारे गाएंगे,
पैदा होंगे देश मे तेरे,
पर बाप हमें बताएंगे....🙏🙏✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
पुरानी टंकी
पुरानी टंकी
घर की सबसे पुरानी टंकी,
एक उम्र से दरारे जिसमे थी।
बून्द बन्द कर रिसती थी,
शायद ढहने की बेताबी थी....।।
जिसने अपना आँचल भरकर
पानी सबको पिलाया था।
नए प्लास्टिक टैंक ने आकर,
उसका उपहास उड़ाया था.....।।
कुछ बच्चों ने चीनी मिट्टी से,
मरहम उसको लगा दिए।
जर्जर होती टंकी के,
कुछ दिन और, बढ़ा दिए....।।
टंकी की गोदी में अब,
पानी अच्छा रुकने लगा।
उछलकूद कर बचपन ने,
टंकी को जीवनदान दिया....।।
🙏🙏🙏✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
मेरे देश की धरती
मेरे देश की धरती
मेरे देश की धरती की है कथा
जो तुमको आज सुनाता हूँ
भारत की भूमि पर जन्में
वीरों की गाथा गाता हूँ।।
सतयुग में थे ऋषि मुनि
इस धरा की पूजा करते थे
प्रकृति के साथ मे रहकर
जीवन यापन करते थे।।
त्रेता में श्री राम ने भी
इस धरा का मान बढ़ाया था
अत्याचारी का वध कर
इस धरा को मुक्त कराया था।
द्वापर में कान्हा ने भी
इसी धरा पे रास रचाया था
महाभारत कर दुष्टों का
इस धरा पे लहु बहाया था
सिकंदर भी इस धरती को
जब फतह करने आया था
धरती के बेटे चाणक्य ने
उसको धूल चटाया था
मुग़लो ने जब आक्रमण कर
इस धरती को कब्जाया था
वीर शिवाजी,राणा ने फिर
धरा का कर्ज चुकाया था
अंग्रेज़ों का मन, पाने
इस धरती को ललचाया था
झांसी की रानी मर्दानी ने
नरसंहार मचाया था।
राजनीति षडयंत्र से जब
स्वार्थ सिद्ध कराया था
इस धरती के टुकड़े करके
विभाजन इसका कराया था
जब जकड़ी गुलामी के बेड़ी
इस धरती ने मान गंवाया था
क्रांतिकारियों ने कुर्बानी
दे स्वतंत्र कराया था।
जय जवान जय किसान वाला
धरती का लाल बहादुर था
युद्ध किया दुश्मन से उसको
घर मे घुसकर मारा था।
ये धरती है बलिदानों की
बलिदान पे शीश झुकाता हूँ,
मेरे देश की धरती पे जन्में
वीरों की गाथा गाता हूँ।।
दक्षिण में सागर,भूमि का
पग प्रक्षालन करता है,
उत्तर में हिमालय सर पर
मुकुट बनकर रहता है।
विश्व की सर्वश्रेष्ठ धरा पर
जन्मा, ये सौभाग्य पाता हूँ
मेरे तन का रोम रोम माँ
तेरी भेँट चढ़ाता हूँ।।
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
ग़ज़ल- ज़िन्दगी
ग़ज़ल- ज़िन्दगी
आज के रंगों से चित्र, कल का बनाता चला गया,
कल की हर फिक्र को धुँए में उड़ाता चला गया।।
राहें मुश्किल रही ज़िंदगी के सफर की,
मैं हौसले से पांव, ज़मीं पे टिकाता चला गया।।
हालात बद से बदतर होते चले गए,
मैं सब्र से बुरे वक्त को, काटता चला गया।।
नसीब के इंतज़ार में बैठा ना रहा कभी,
मेहनत के पांव से, पत्थरों को हटाता चला गया।।
धोखे के खंजरों से लगे जख़्म जेहन में
हर ज़ख़्म मुझे, कुछ ना कुछ सिखाता चला गया।।
टूटे हुए दिल से भी, लोगो के लबों को,
ग़म अपने छुपाके, हंसाता चला गया।।
कुछ छोड़ के गए,कुछ अब भी साथ है,
जैसे भी बना,मैं सबके साथ निभाता चला गया।।
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
एक मुलाक़ात जरूरी है सनम
एक मुलाक़ात जरूरी है सनम
आ भी जा के मैं, तेरी राह देखता हूँ,
तेरे इंतज़ार में नब्ज, बार बार देखता हूँ!!!!
बनके झोंका हवा का, आ ना जाये कही,
इसलिए इन दरख्तों को, लगातार देखता हूँ!!!!
बनके बारिश, मुझे भिगो न दे कही,
तो मैं ये फलक, बेशुमार देखता हूँ।।
आ भी जा के मैं, तेरी राह देखता हूँ,
तेरे इंतज़ार में नब्ज, बार बार देखता हूँ,!!!!
इन पत्तों की सरसराहट में,
तेरी पायल की झनक है,
इस झरने की कल-कल में,
तेरी चूड़ियों की खनक है,
कोयल की कूक में,तेरी आवाज सुनता हूँ,
और इस चाँद में, चेहरा-ए-यार देखता हूँ,
आ भी जा कि मैं, तेरी राह देखता हूँ,
तेरे इंतज़ार में नब्ज, बार बार देखता हूँ!!!!
दिल के जख्मो पे जो लगा दे मरहम,
ऐसी एक मुलाक़ात जरूरी है सनम,
फिर ना हो जुदाई तेरे आने के बाद,
बस यही एक बात,बार बार सोचता हूँ,
आ भी जा कि मैं, तेरी राह देखता हूँ,
तेरे इंतज़ार में नब्ज, बार बार देखता हूँ!!!!✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
समय
समय
समय बड़ा बलवान है भैया,हर घड़ी सिखाता रहता है।
इंसान की औकात है क्या,ये उसको दिखाता रहता है।।
चलता अपनी चाल से भैया,पल पल गुजरता रहता है।
अच्छा हो या बुरा समय,हमेशा नही ठहरता है।।
समझ लिया जो मूल्य समय का,सफलता वही पाता है।
बुरे समय मे भी अक्सर,मौके नए बनाता है।।
गुज़र जाएगा बीस बीस भी,बीस इक्कीस आ जायेगा।
समय रहते जो ना चेते, तो फिर से समय चेतायगा।।
राजा को भी रंक बना दे,रंक को राजा बनाया है।
समय बड़ा बलवान है भैया,समय की अद्भुत माया है।।
🙏🙏🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
दोहे- प्राणायाम योग
दोहे- प्राणायाम योग
योग रोज़ाना कीजिये,स्वस्थ तन मन हो जाये।
बुरे विचारों से बचें, रोगों से लड़ पायें ।।
ज़ोर से सांस खींचिये, सीने में भर जाय।
क्षमता जितनी रोकिए,छोड़े विकार भगाये।। - प्राणायाम
अनुलोम विलोम कीजिये,एक एक नथुना दबाय।
शरीर को मजबूत करे, दिमाग शांत हो जाय।।
ज़ोर से सांस छोड़िये, पेट को अंदर खींच।
कपालभाटि कीजिये, पाचन रक्खे ठीक।।
लोहार की धौंकनी, फूलत पिचकत जाये।
कर भस्त्रिका छाती को,लें धौकनी सा बनाये।।
अंगुष्ठ कान बंद करे, उँगलियें नाक आंख दबाये।
ध्वनि ऐसी कीजिये, जैसे भ्रमर भिनभिनाये।।
भ्रामरी नाम का ये प्राणायाम होय।
माइग्रेन हाई बीपी में ,निश्चित राहत होय।।
वक्ष के व्यायाम ये,प्राण वायु बढ़ाये।
लंबी आयु प्राप्त हो,चुस्ती फुर्ती जगाए।।
वक्ष - chest
प्राणवायु- oxigen
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
तू बनके तितली दिल, उड़ा!!
!!तू बनके तितली दिल, उड़ा!!
तू बनके तितली... दिल, उड़ा..
दीवाने को.... यूं ना सता
तू मेरा फूल.... मैं तेरा भंवरा
आजा जी लें....संग संग जरा
चलो नील गगन में उड़ जाए, बादलों के संग
तुम तितली बनकर फैलाओ, रंग बिरंगे पंख
मैं भंवरा बनके ले के चलूँ, तुम्हे हवाओ संग
मेरे जीवन की तुम डोर बनो,मैं बनूँ तुम्हारी पतंग
पलकों पर ये.... ख्वाब सजा,
तू बनके तितली.... दिल, उड़ा,
तू मेरा फूल.... मैं तेरा भंवरा,
आजा जी लें....संग संग जरा,
चलें प्रेमनगर की बगियाँ में,जहां इश्क़ के फूल खिलें,
प्यार की ऐसी खुशबू हो, जो तन मन मे घुले,
तेरा हाथ पकड़ मैं दिखलाऊँ, तुम्हे ऐसी मंज़िलें,
दो प्यार करने वाले,जहां होते अमर मिलें'
करके भरोसा... पास तो आ,
तू बनके तितली.... दिल, उड़ा,
तू मेरा फूल..... मैं तेरा भंवरा,
आजा जी लें..... संग संग जरा...।।
चल ले चल तू संग अपने,किसी ऐसी राह पर,
जहां तेरे सिवा ना कोई हो,मेरा हमसफर,
मैं मस्त गगन में उड़ जाऊं, तेरी बांहे थामकर,
पर ऐसा ना हो तू चलदे, कहीं मुझको छोड़कर,
प्यार है तो.....डोली ला,
बनाके दुल्हन....तू ले जा,
मैं तेरा फूल....तू मेरा भंवरा
आजा जी लें.... संग संग जरा...।।
बनके तितली... दिल उड़ा..
तू मेरी...मैं तेरा....
मैं तेरा फूल....तू मेरा भंवरा
आजा जी लें.... संग संग जरा...।।
🙏🙏✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
खिलौने जो कभी ज़िंदा थे
खिलौने जो कभी ज़िंदा थे
खिलोने वो,जो कभी थे ज़िंदा,
मिट्टी की गुड़िया, वो मिट्टी का गुड्डा,
सजाते जिन्हें थे, अपने हाथों से हम तुम,
तुम जैसी दुल्हन,मुझ जैसा दूल्हा।
हा ज़िंदा थे वो, बचपन मे अपने,
लेते थे सांसे,तुममे और मुझमें,
मिट्टी की खुशबू, से थे वो महकते,
रोते थे हम भी, जब वो थे टूटते,
वो गाड़ी का टायर और छोटी सी डंडी,
चलाते थे, फिरते हर गली पगडंडी,
खिलौना था अपना, वो हर सफर का,
ज़िंदा था जैसे, कोई हमसफ़र था।।
चपेटे वो कंचे वो इमली के बूटे,
हमेशा खुश करते, कभी नही रूठे,
देते थे साथ, जैसे कोई साथी,
हमेशा जो मेरी, जेब मे थे रहते।।
वो बैल वो हाथी वो मिट्टी के घोड़े
त्योहारों में थे जिनकी पूजा करते
हमारे घरों की जो शोभा बढ़ाते
खिलौने थे ऐसे जिनमे भगवान उतरते
आया ज़माना ये प्लास्टिक वाला,
सभी इन खिलौनों की करते है निंदा,
यादों में अब भी, है सांस लेते,
खिलौने जो कभी थे ज़िंदा।।
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
मॉडर्न बंजारे
मॉडर्न बंजारे
सावन की बारिश और ख्याल तुम्हारे
भिगा देते है दोनों मन को हमारे
बारिश के पानी मे गोरैया का फुदकना
तुम्हारे ख्यालों में मेरा तड़पना
पेड़ पर बैठी कोयल की कूक
दिल मे मेरे उठाती है हूक
तारों पर बैठी चिड़ियों की पंक्ति
तुम्हारे बिना मै अकेली सिमटती
उड़ते परिंदे चुगली है करते
बताते मुझे, तुम भी ऐसे ही उड़ते
शहर दर शहर, हो रहते भटकते
घर भी आओ, तो बस काम करते
हम है तुम्हारे, काम के मारे
तुम बनके फिरते मॉडर्न बंजारे....✍️गौरव
Love in Library
Love in Library
खामोश निगाहें,खमोशी में,खामोशी से पढ़ती थी,
खामोश मोहब्बत,खामोशी से,चोरी चोरी तकती थी।
Love in library की शुरुआत कुछ ऐसी होती थी,
लफ़्ज़ों वाली बातें सारी, खामोशी ही करती थी ।।
पुस्तक के पन्नो को कुछ ऐसे,पेंसिल से गूदा जाता था,
अदल बदल कर पुस्तक को,संदेशा समझा जाता था।
गिरती उठती पलकों वाली,क़ातिल अदाएं होती थी,
नज़र- नज़र की भाषा में,प्यार पढ़ाया जाता था।।
चलती फिरती लाइब्रेरी,अब सबके हाथ मे होती है,
google जी के पास,लगभग सारी किताबें होती है।
लाइब्रेरी के दरवाजे पर,अब आमद कम ही होती है,
युवा वर्ग के प्रेमालाप को,जगह ये बेहतर होती है।।
पुस्तक के पन्नों पर बिखरा, सूखे फूल सा प्यार पुराना,
गैजेट्स की भेंट चढ़ गया,Love in Library वाला ज़माना।।
🙏🙏🙏✍️गौरव
सुनो तितलियों🙏
🙏सुनो तितलियों🙏
सुनो तितलियों,मेरी बात सुनो,
अपना जीवन आप चुनो,
दिल मे जो भी,हसरत है,
जो बनना है, वही बनो....।।
सुनो तितलियों,मेरी बात सुनो,
पंखों को इतना फैलाओ,
दूर से ही तुम दिख जाओ,
खुद को इतना सशक्त करो,
किसी भंवरे से तुम ना डरो....।।
सुनो तितलियों, मेरी बात सुनो,
नित नए आयाम गढ़ो,
संकीर्णता की बेड़ियाँ तोड़,
पढ़ो लिखो और बढ़ो,
अंतरिक्ष की कल्पना कर,
पंखों से नए रंग भरो....।।
सुनो तितलियों,मेरी बात सुनो,
नील गगन के नीले रंग को,
उड़कर तुम पंखों में भर लो,
सुदूर क्षितिज भी शर्मा जाए,
तुम जाओ उसके पार उड़ो....।।
सुनो तितलियों,मेरी बात सुनो,
ना कतरे कोई तुम्हारे परों को
तुम इतना स्वाभिमान धरो
घर आंगन की बगिया संग
तुम बागों का भी ध्यान धरों....।।
सुनो तितलियों,मेरी बात सुनो,
तुम देना जग को बतला,
मत फ़ूलों पे अभिमान करो,
हम तितली से बगिया है रोशन,
हर तितली का सम्मान करो.....।।
सुनो तितलियों,मेरी बात सुनो,
उड़ान भरो तुम चाहे जितनी,
अपने पैरों को ज़मीं पे रखो,
उन फूलों को ना मुरझाने देना,
जिनका तुम रसपान करो,
सुनो तितलियों, मेरी बात सुनो,
अपना जीवन आप चुनो....।।🙏🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
एक टुकड़ा नींद का
एक टुकड़ा नींद का
उस झील के किनारे,
एक टुकड़ा नींद का,
रह गया था मेरा,
काँधे पर तुम्हारे....
मुद्दतों बाद आये थे तुम,
मेरी बाहों में,
सदियों बाद देखा था तुम्हे,
इन निगाहों ने,
दो पल भी तो तुम,
साथ ना रुके,
फिर चले गए,
सरहद के बुलाने पे.....
आज अगर तुम साथ होते,
तो छीन लेती मैं तुमसे,
वो सारे टुकड़े नींद के,
जो रह गये थे,
काँधे पर तुम्हारे,
और जोड़कर उनको,
करती नींद पूरी,
देखती वो ख्वाब,
जो रह गए अधूरे,
उस झील के किनारे.....✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
वानरी दोहा
वानरी दोहा
एक डाल से दूसरी, ज्यों बंदर उछलत जाय।
देश के नेता ऐसे ही, पार्टी बदलत जाय।।
नकल उतारे बंदर की, अक्ल ना कोई लगाए।
आगे रहने की होड़ में, तलवे चाटत जाए।।
जनता के विश्वास की, धज्जियाँ देत उड़ाये।
अपराधी भी चुनाव में, संत सा बनकर आये।।
हार जीत चुनाव की,मायने ना रख पाये।
जोड़ तोड़ के कैसे भी,ले सरकार बनाये।।
जनता के सवाल पर,बंदर सा सर खुजलाये।
मीडिया से सेटिंग कर, खुद को सयाना बताये।।
मंदिर मस्जिद के आंगन में,ज्यों बंदर डेरा जमाये।
मंदिर मस्जिद को मुद्दा, त्यों नेता मन को भाये।।
करत गौरव विनती प्रभु , कोई नेता ऐसा आये।
देश को श्री राम समझ,खुद हनुमान बन जाये।।
🙏🙏
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा,
सुनहरी सी धूप,धरके पावन सा रूप,
मेरे घर आई, बनके देवी स्वरूप,
गोदी में मेरी, संसार सिमटने लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा.....
गालों में डिंपल,आंखे है काली,
होंठो पे जैसे, गुलाबों की लाली,
किलकारियों से घर गूँजने लगा,
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा.....
मन सबका मोहे, जो उसको देखे,
हर्षाए सबको, दुख सबके हर ले,
मैं उसको "मोहिका" बुलाने लगा,
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा....
प्यारी सी सूरत, मीठी सी बोली,
हंसे तो होली,चले तो दीवाली,
उसके खेलों में, मन मेरा रमने लगा,
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा.....
पल में खफ़ा,पल में हँसे,
फरमाइशों के लगे सिलसिले,
कह दूँ उसे जो, पढ़ाई करे फिर,
दीवारों को अपने रंग में रंगे,
बिखरे खिलौने,बिखरा सा घर,
मम्मा के वश में, है वो मगर,
पिटती है, रोती है, आती है पास,
मेरी बातों से बहलने लगे,
सवालों में उसके, है सारा जहां,
मेरी पढ़ाई, मुझे कम लगे,
होगी बड़ी, फिर जो बनना, बने,
करूँगा मै भी, जो बन पड़े,
मेरी ये इच्छा है, ईश्वर करे,
बिटिया मेरी बस, सदा खुश रहे....🙏🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
😜श्रीमति जी😜
😜श्रीमति जी😜
श्रीमति जी ताना देती,तुम्हे डॉक्टर कौन बनाय।
कोरोना के बस रोगी ढूंढो,इलाज ढूंढ ना पाय।।
जाते डयूटी करने ही हो,या कही जाके सो जाओ।
या नई नवेली नर्सों के संग,जाके नैन लड़ाओ।।
घर मे रहते दोनों बच्चे, सर मेरा खा जाएं।
साहब जी क्या इनसे बचने,रोज़ ही डयूटी जाएं।।
मैं बोला जी सुनो श्रीमती,यूँ ना शक किया जाए।
शासन के आदेशों का,हमें पालन करने दिया जाय।।
जो भी आपकी रहे समस्या, लिखित में दे दी जाएं।
अपनी तरफ करेंगे कोशिश,आपकी मांग पूरी की जाएं।।
श्रीमति जी झाड़ू उठाके,दी अच्छे से समझाए।
ऑफिस की बातों को फिर से,अब घर मे ना लाएं।।
सज़ा अनोखी सोच के बोली,चलो तुमसे काम कराएं।
मेरे बेटे ने की थी पोटी, वही हमसे दी धुलवाए।।
शासन की लिखा पढ़ी से, गौरव फिर भी बच जाए।
घर मे बैठी गृह मंत्री से,कोई नही बच पाये।।
😀😀😀✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
तेरी भी हो,मेरी भी हो,ऐसी असरदार कहानी
तेरी भी हो,मेरी भी हो,ऐसी असरदार कहानी
दर्ज हो इतिहास में जो, छोड़े अमिट निशानी
हर दौर में सुनी जाए,ऐसी हो तेरी - मेरी कहानी,
बने मिसाल जहाँ में, जोश से भर दे जवानी,
वतन गुनगुनाएं ऐसी हो तेरी - मेरी कहानी,
तेरी भी हो, मेरी भी हो, ऐसी असरदार कहानी....
हो भगत सिंह सा जोश, हो आज़ाद की झलक,
कुर्बा हुआ जो देश पे, हर उस खून की महक,
लफ़्ज़ों के अंगार से, दिलों में आग लगा दे,
ठंडा पड़ा हर कतरा कतरा, ख़ून ख़ौला दे,
सरहद पे लड़े सैनिक की, शहादत की निशानी,
तेरी भी हो, मेरी भी हो ऐसी असरदार कहानी....
बेटियां जो देश की, उन्हें भी याद दिला दे,
रस वीरता का घोलकर उनको भी पिला दे,
सुभाष की फौज में उन्हें,शामिल जो करा दे
रणबाकुरीं बने वो फिर ,दुश्मन के छक्के छुड़ा दें
लड़ जाए वो वतन के लिए, बनके झांसी की रानी
तेरी भी हो, मेरी भी हो, ऐसी असरदार कहानी....
कर अनुशरण शहीदों का, जीवन संवार लें,
मिट जाए देश पर, और ये कर्ज़ उतार लें,
देश के गद्दार पर, विनती नहीं ये वार हो,
जो देश के लिए नही,वो सरहदों के पार हो,
मरकर भी हो अमर,ऐसी तलवार कहानी,
तेरी भी हो, मेरी भी हो, ऐसी असरदार कहानी….
तेरी भी हो, मेरी भी हो, ऐसी असरदार कहानी….🙏🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
9424557556
गाना- ना नाराज़ हो ए दिल
गाना- ना नाराज़ हो ए दिल
मुखड़ा-
ना नाराज़ हो ए दिल, ना कुछ बोल ज़माने से
जिन्हें जरूरत नही तेरी, तू ना रो उनके रुलाने से
ना नाराज़ हो ए दिल, ना कुछ बोल ज़माने से....2
अंतरा-1
मेरे अश्क़ों मेरी आँखों से तुम, बाहर नही आना
खुशी के हो या गम के हो, तुम्हे है कौन पहचाना...2
जग हंसाई ना करना तुम, मेरी किसी बहाने से
ना नाराज़ हो ए दिल, ना कुछ बोल ज़माने से....
अंतरा-2
मोहब्बत में मिले धोखे से,तू हैरान ना होना
हसीनो की ये आदत है,सितम करना औ गम देना..2
तेरी किस्मत में जो होगा, वही इक दिन तुझे मिलना
होंसले की बात होने दे, क्या मिलेगा यूँ हार जाने से....
जिन्हें जरूरत नही तेरी, तू ना रो उनके रुलाने से
ना नाराज़ हो ए दिल, ना कुछ बोल ज़माने से....2
🙏समाप्त🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
जादुई शेर
जादुई शेर
पहुँच गया जादुई शेर
करने लद्दाख की सैर....
56 इंची सीना ताने,
हौसला जवानों का बढ़ाने...
सीमा पर जाके दहाड़ा है,
दुश्मन को ललकारा है...
शेर की इस चाल से,
शौर्य के कमाल से,
दुश्मन तो थर्राया है,
विश्व भी शीश झुकाया है...
भरके जोश पूरे देश मे,
जादू, शेर ने दिखाया है।।✍️गौरव
पीएम लद्दाख यात्रा
03/07/2020
आग के देवी देवता😜
आग के देवी देवता😜
आयुर्वेद की दृष्टि से तो हम सभी हर जीव आग का देवी देवता है।आयुर्वेद में 13 तरह की अग्नियां बताई है,जिनमे जठराग्नि प्रमुख है, हां वही पेट की आग...जिसके लिए ये दुनिया जगत का सारा प्रपंच है।
इसके अलावा 7 धात्वग्नि,और 5 भूताग्नि...भूताग्नि यानी पंच महाभूत आकाश,वायु,अग्नि,जल,पृथ्वी... इन्ही से हमारा शरीर बना है। ऐसे ही रस, रक्त, मांस,मेद, अस्थि,मज्जा,शुक्र, ये 7 धात्वग्नि है।
जठराग्नि आहार का पाक करके आहार रस बनाती है,उसके बाद धात्वग्नियाँ उस रस का पाक कर अपना अपना वर्धन करती है।इसी तरह भूताग्नि भी कार्य करती है,विषय बहुत विस्तृत है,इसे यही सीमित करते है,कहने का तातपर्य ये है कि हम सभी मे ये अग्नियां समुचित कार्य करें,तो हम निरोगी अन्यथा,इनकी विकृति से रोगी बन जाते है। जैसे आग पर पानी डालने से धुआं उठता है,वैसे ही जठराग्नि के मंद होने पर गैस की शिकायत होने लगती है।
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यहां तो बहुत से आग के देवता है,देवता क्या देवियां भी बहुत मिल जाती है। कही भी सार्वजनिक स्थानों पर आग से सुलगती धूम्रकंडिका कभी होंठों से चिपकाकर,तो कभी उंगलियों में फंसाकर दम खींचते है,और फिर जब धुँआ छोड़ते है तो,देखते ही बनते है। मुझे देवियों को देखने मे आनंद मिलता है,उनका style अलग लगता है,या फिर मुझे कभी कभी ही वो धूम्रपान करती दिखती है इसलिए भी आकर्षक लगती है। पुरुष प्रधान समाज मे पुरुषो को हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चलती स्त्रियां, इस क्षेत्र में भी परुषों को टक्कर दे रही है, ये सोचकर अच्छा भी लगता है 😜। अमीर, मध्यमवर्ग सिगरेट सुलगाकर और गरीब बीड़ी जलाकर आग का देवता बना मिल जाता है। मुझे बुरा तब लगता है जब चिलम फूंकने वाले इसे महादेव से जोड़कर अपने आप को भक्त बताते है। खैर सबकी अपनी अपनी मान्यताएं है,क्या करें, इसलिए किसी को सुधारने की हमारी कोई मंशा नही है,वैसे भी अगर ये सुधर गए तो हमारी रोज़ी रोटी कैसे चलेगी😜।
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
पुराने समय मे सर्कस में भी आग का देवता हुआ करता है,जो पूरे शरीर पर फायर प्रूफ सूट पहनकर, आग लगाकर,ऊंचाई से नीचे जलकुंड में कूद जाता था। उसकी आजीविका का साधन यही था,इसलिए रोज़ जलता बुझता रहता था। उनमे ही वो भी रहते थे जो मुंह मे पेट्रोल भरकर मशाल की आग भड़काते थे। मुझे वो पसंद थे।😀
वैसे पहले वाले आग के देवता सड़को पर किसी मंत्री या मुख्यालय के सामने बिना fire proof suit पहने प्रदर्शन करते हुए दिख जाते है।राजनीतिक प्रदर्शन के अलावा भी लोग इतने मजबूर हो जाते है कि उन्हें मौत का भय भी नही रहता और इसके अलावा कोई रास्ता नही दिखता। जैसे अभी हाल ही में गुना कांड में हुआ।
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
आग का देवता बनाने में बॉलीवुड फिल्मों ने भी कोई कसर नही छोड़ी। आपको भी याद होगा आमिर खान की फ़िल्म गुलाम का गाना "आती क्या खंडाला" में कैसे आमिर खान ने जलती तीली अपनी जबान पर बुझाई थी। जबान तो वैसे भी अपने शब्दो से आग लगा देती है,फिर उनको तीली दिखाने से क्या फायदा। मगर ये स्टाइल खूब चला,बड़े क्या बच्चे क्या सब अपनी जबान जलाने लग गए थे, मैं भी खुद को आमिर समझने लगा था😜।
आजकल तीली वाला जमाना तो रहा नही अब तो आग वाला पान आ गया है ना,सैक्रीन लपेट के पान में आग लगा देते है,और मुंह मे भर देते है,फिर उसका धुँआ मुंह ,नाक, कान,या.... जहां से भी निकले किसी को क्या फर्क पड़ता है,बात तो आग का देवी देवता बनने से है बस।
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
और अब आते है असली आग के देवता...हमारे fire fighters...
देवता वही जो दूसरों के लिए कुछ करे,उनके दुख दूर करे, उनकी जान बचाये,और यही काम करते है हमारे अग्निशामक विभाग के मैदानी कर्मचारी, जो अपनी जान दांव पर लगा के भी दूसरों को आग से बचाते है। यही है असली आग के देवता, नमन है इनको🙏🙏
अब बोर हो गया हूँ लिखते लिखते, तो इस विषय को यही समाप्त करता हूँ,और जाकर आग का देवता बनता हूँ, मतलब चाय पीता हूँ, चाय भी आग लगा देती है तनमन में😜
अंत मे यही कहूंगा...धूम्रपान करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
क्या है ना संदेश भी दे देना चाहिए, लेखन की value बढ़ जाती हैं।😜😜
🙏🙏🙏 गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
ग़ज़ल- दुनिया की आखिरी शाम
बाबू मोशाय...
प्रकृति🌲🌴
तमन्ना- हाइकु
दोहे- डांस पे चांस
मैंने पूछा चाँद से....कविता
पड़ोस वाली लव स्टोरी
ना आना इस देश मेरी लाडो
😀शादी के दोहे😀
चाय का कुल्हड़
भोले कान्हा
एक स्वास्थवर्धक चाय
एक स्वास्थवर्धक चाय
कोरोना काल मे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा आयुर्वेद के काढ़े प्रयोग कएक स्वास्थवर्धक चायरने पर ज़ोर दिया है।देखा भी जा रहा है आयुर्वेद औषधि के प्रयोग से कोरोना संक्रमित रोगियों में अच्छे परिणाम मिल रहे है।
प्राचीन काल से आयुर्वेदिक काढ़ो का प्रयोग चिकित्सा कार्य मे हो रहा है एवं आजभी बड़े बुजुर्ग काढ़ो का सेवन बड़े चाव से करते मिलते है,किंतु युवा वर्ग स्वाद,रंग गंध आदि के कारण पीने में नाक भौ सिकोड़ता मिल जाता है।
मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण पर अभी तक जो नियंत्रण पाया है उसमें एक विशेष काढ़े का बहुत योगदान है,जिसका नाम है त्रिकटु ।
इसका प्रयोग सर्दी जुकाम बुखार सांस की समस्या के लिए वर्षो से किया जा रहा है। सरकार इसका प्रयोग काढ़े के रूप में करवा रही है, चूंकि कई लोगो को काढ़े पीने और बनाने में असुविधा होती है इसलिए मैं त्रिकटु को चाय में डालकर पीने के लिए परामर्श करता हूँ। चाय का स्वाद भी सामान्य से हटकर मसाला चाय जैसा हो जाता है।
त्रिकटु:-
सौंठ पाउडर ( सूखा अदरक का पाउडर)
काली मिर्च का पाउडर
पिप्पली (लेंडी पीपल) का पाउडर
तीनो पाउडर को समान मात्रा में मिलाकर रख लें, हो गया त्रिकटु चूर्ण तैयार।
बाजार में इसी नाम से उपलब्ध है।
प्रयोग विधि:-
5 ग्राम 1 लिटर पानी मे तब तक उबालें जब तक कि पानी उबलते उबलते आधे से भी कम ना हो जाये। उसके बाद छानकर,गुनगुना पिये। ये काढ़ा है।
जैसा मेंने पहले कहा मैं त्रिकटु को चाय में डालकर पीने के लिए परामर्श करता हूँ, तो वो विधि भी पढ़ लीजिये-
सामान्य तौर पर जैसे चाय बनाई जाती वैसे ही बनाना है बस जब उसमे पहला उबाल आने लगे तो जितने सदस्यों के लिए चाय बनाई जा रही है उतनी चुटकी त्रिकटु चूर्ण को डाल दीजिए,और कुछ देर धीमी आंच पर उबलने दीजिये। हो गई आपकी मसाला चाय तैयार।
एक दो बार बनाने के बाद आपको स्वयं ही अंदाज़ा हो जाएगा स्वादानुसार चूर्ण, चाय में कितना डालना है।
दूध वाली चाय में उबाल आने के बाद ही चूर्ण डालें अन्यथा दूध फटने की संभावना है।
लीजिये कोरोना से बचने और लड़ने के अतिरिक्त हर मौसम में सामान्य बीमारियों से रोकथाम के लिए एक स्वास्थवर्धक चाय तैयार है। आप भी पीजिये,और सबको पिलाइये।😀😀🙏🙏
ये मेरी प्रतिलिपि पर 100वीं रचना है,और लिखते हुए खुशी भी हो रही है कि यह रचना सभी के स्वास्थ्य से जुड़ी है। आशा करता हूँ आप सबके लिए यह रचना लाभदायक हो।
धन्यवाद!!🙏🙏
✍️डॉ. गौरव शाक्य
आयुर्वेद चिकित्सक