Sunday 26 July 2020

एक शापित कैनवास

एक शापित कैनवास

गुड़िया, संग्राम सिंह की 5 साल की बेटी बड़ी जिद करने के बाद उसे पेंटिंग के लिए केनवास और कलर मिले थे वो भी संग्राम ने रोज़ रोज़ की परेशानी से बचने दिलाये थे। आज उस केनवास पर गुड़िया रंग बिखेर रही थीं।


आफिस से आने के बाद संग्राम कैनवास देखकर चौंक गया...


ये क्या बनाया है तूने..आग में जलती हुई ये औरत...संग्राम ने गुस्से से पूँछा !!!

गुड़िया- पापा ये आंटी है, मेरे साथ रोज़ खेलती है।

संग्राम- पर ये तो......इसकी शक्ल तो तेरी माँ से मिलती है।

गुड़िया की माँ उसके जन्म के कुछ दिनों बाद मर चुकी थी।

गुड़िया- मेरी माँ!!!!

संग्राम पसीने से तर बतर हो,शराब की पूरी बोतल गटक गया।
और अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर लेता है।

गुड़िया कैनवास पर बने चेहरे को अपलक देखती रहती है और फिर अचानक एक नए कैनवास पर पेंटिंग करने लगती है।

अगले दिन सुबह

पुलिस संग्राम के कमरे का दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल होती है जहां  बेड पर संग्राम की लाश देख कर सभी चौंक जाते है। संग्राम की आँखे गोलक से बाहर निकली हुई थी मगर संघर्ष के कोई निशान नही शायद हार्ट अटैक आया था।कुछ भयानक सा देखकर।

इधर गुड़िया इन सब से अनजान अब भी कैनवास के सामने खड़ी आंखों में आंसू लिए अपलक अपनी बनाई पेंटिंग देख रही है,उसने आज भी केनवास पर फिर वही चेहरा बनाया है,मगर आज उस चेहरे में एक मुस्कान शामिल है।

समाप्त!!!🙏🙏


✍️गौरव

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