Saturday, 24 May 2025

इश्क़❤️


करना नहीं था जो हमें, हम वो भी कर गए 

रहना था दूर इश्क से, पर तुमपे मर गए 

डूबे थे इस कदर कि, हमें होश ना रहा 

दरिया की गहराई में, जाने कब उतर गए 

करना नहीं था जो हमें, हम वो भी कर गए 

रहना था दूर इश्क से, पर तुमपे मर गए 


दिल ने सुनी थी जब कभी, तुम्हारी इक सदा 

ख्वाबों को सजाने से खुद को, रोक ना सके 

इक वार नजर का रहा, काफी जंग में 

हम खो गए थे ऐसे, खुद को ढूंढ ना सके 

करना नहीं था जो हमें, हम वो भी कर गए 

रहना था दूर इश्क से, पर तुमपे मर गए 


तेरे बिना ये साँसे, अधूरी सी हैं लगें 

इन धड़कनो में अब तो, तेरा नाम ही चले 

बेताबियों की आग में है, जिस्म तपा के 

इस रूह को काबिल है, बनाया तेरे लिए 

करना नहीं था जो हमें, हम वो भी कर गए 

रहना था दूर इश्क से, पर तुमपे मर गए 


अब ये भी जरूरी नहीं, चाहो तुम हमें 

ये इश्क की रस्में नहीं, बदले में कुछ मिले

अब क्या करें परवाह, जब खुदको मिटा चुके 

सब है कुबूल इश्क़ में, अब हमको जो मिले 

सब है कबूल इश्क़ में, अब हमको जो मिले 

सब है कुबूल इश्क़ में, अब हमको जो मिले....✍️गौरव

24.05.2025

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