Wednesday, 21 May 2025

चाय पर तुम

सुबह की धूप हो

या शाम का मौसम 

बन जाता है हर पल 

खुशनुमा आलम 

देता सुकून मुझको 

जब होती हो मेरे साथ 

चाय पर तुम 


चाय पर तुम 

चाय पर तुम 


उबलती चाय के 

जैसी तुम्हारी हँसी

अदरक सी तीखी 

मीठी इलायची 

दोनों के जादू से 

मैं बंधा रहूँ हरदम 

जब होती हो मेरे साथ 

चाय पर तुम 


चाय पर तुम 

चाय पर तुम 


चाय की भाप सी 

गर्म तुम्हारी साँसे 

हर चुस्की में बसी 

मीठी तुम्हारी बातें 

हर घूंट में उमड़ता

प्यार का नया रंग

जब होती हो मेरे साथ 

चाय पर तुम 


चाय पर तुम 

चाय पर तुम 


चाय पर चर्चा से 

चलती है गाड़ी 

दोनों मिलके गढ़ते हैं 

ज़िन्दगी हमारी 

तुम्हारी चाय के स्वाद सा 

बना लेंगे ये जीवन 

सदा रहना मेरे साथ 

चाय पर तुम 


चाय पर तुम 

चाय पर तुम....✍️गौरव

22.05.25

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