सुबह की धूप हो
या शाम का मौसम
बन जाता है हर पल
खुशनुमा आलम
देता सुकून मुझको
जब होती हो मेरे साथ
चाय पर तुम
चाय पर तुम
चाय पर तुम
उबलती चाय के
जैसी तुम्हारी हँसी
अदरक सी तीखी
मीठी इलायची
दोनों के जादू से
मैं बंधा रहूँ हरदम
जब होती हो मेरे साथ
चाय पर तुम
चाय पर तुम
चाय पर तुम
चाय की भाप सी
गर्म तुम्हारी साँसे
हर चुस्की में बसी
मीठी तुम्हारी बातें
हर घूंट में उमड़ता
प्यार का नया रंग
जब होती हो मेरे साथ
चाय पर तुम
चाय पर तुम
चाय पर तुम
चाय पर चर्चा से
चलती है गाड़ी
दोनों मिलके गढ़ते हैं
ज़िन्दगी हमारी
तुम्हारी चाय के स्वाद सा
बना लेंगे ये जीवन
सदा रहना मेरे साथ
चाय पर तुम
चाय पर तुम
चाय पर तुम....✍️गौरव
22.05.25
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