ना मनाऊंगा गणतंत्र दिवस,
ये देश नहीं आज़ाद हुआ
चंद गद्दारों के चंगुल में फंस,
संविधान का विनाश हुआ
हुई लोकतंत्र की हत्या,
कई बार ये कत्ले आम हुआ
जाति धर्म में बांटा हमको,
कहाँ का ये संविधान हुआ
भूखी रोती जनता को ना,
रोटी तक का सहारा है
जंजीरों में जकड़ा सा
ये भारत हमारा है
सत्ता लोलुप,चाटुकारों,
मनाओ ये गणतंत्र तुम्हारा है,
ये गणतंत्र तुम्हारा है,
ये गणतंत्र तुम्हारा है!!!
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