😀 शादी का पहला सावन- हॉरर 😀
शादी के बाद पहला सावन आने पर ज्यादातर नव विवाहिता अपने मायके जाती है, वैसे हमारी इस कहानी के नायक नायिका की शादी हुए 4 महीने ही हुए थे और अब सावन आ गया।
अरे वाह इतना सज धज कर कहाँ जाने की तैयारी हो रही है???
मायके
क्यूँ?? अभी महीने भर पहले ही तो आई हो,अब फिर क्यों जाना है।?
सावन में सभी जाते है,इसलिए मैं भी जा रही हूँ। परंपरा है।
परंपरा लोगो के लिए है,हम परंपरा से बंधे तो नही है।
ओह्ह!! मुझे जाना है मतलब जाना है बस !! अच्छा बताओ तो कैसी लग रही हूँ मैं??
चुड़ैल!!!
क्या कहा चुड़ैल???😠😠
मेरा मतलब चुड़ैलों की रानी, मेरी सबसे खूबसूरत चुड़ैल 😍
चुड़ैल- ह्म्म्म अब ठीक है, चलो अब तुम भी जल्दी से मेरे फेवरेट वाले काले कपड़े पहनके तैयार हो जाओ, आज ऐसे पिशाच लगना कि मायके की आत्माएं जल भून के मुक्ति पा जाए।😜
अच्छा सुनो!!पहले ये बताओ आज कितना खून लाये हो?
पिशाच- तुम्हारा पेट भर जाएगा इतना तो है।
चुड़ैल- अरे मैंने बोला तो था आज ज्यादा ख़ून लेकर आना,माँ, बाबा को क्या लेकर जाएंगे अब??
पिशाच- ठीक है,रास्ते मे जाते हुए ले लेंगे। वैसे भी कोरोना चल रहा है,हम पर कोई शक भी नही करेगा।
चुड़ैल- वो फ़ास्ट फ़ूड कोर्ट वाले रास्ते से चलना,वहां अच्छे मोटे तगड़े इंसान बैठे रहते है। आज माँ ,बाबा को 5 स्टार वाला खून पिलायेंगे।
पिशाच- नही उन लोगो का भी कोई खून है,ना स्वाद ना महक,जाने क्या तला भुना खाते रहते है,शरीर से फुले हुए है बस वो,उनके ख़ून में कोई ताकत नही है।
खून तो उसी फ़ूड कोर्ट के पीछे वाली झुग्गी के लोगो का है, उसी फ़ूड कोर्ट का फेंका हुआ खाना खाते है मगर फिर भी अलग है,मिनरल्स विटामिन, प्रोटीन से भरपूर,और स्वाद, आहाहाहा तुम तो बस उनकी गर्दन चूसती रह जाओ,इतना स्वादिष्ट।। पिशाच काले कपड़े पहनते पहनते तैयार होते हुए बोला।
चुड़ैल- होगा!! पर मैं आज अपने माँ बाबा को 5 स्टार वाला ही खून पिलाऊंगी। ये झुग्गी वाला खून तो उन्हें गांव में मिल ही जाता होगा न।
पिशाच- ठीक है!! जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। चलो अब चलते है।
(रास्ते मे मोटे तगड़े लोगो का पर्याप्त मात्रा में खून निकालते हुए आगे बढ़ गए।)
पिशाच- कब से बोल रहा हूँ, बाबा को छोड़ो वो काली पहाड़ी, और वो पुरानी हवेली, यहाँ हमारे साथ आकर रहो!! हमारे साथ नही भी रहना हो तो शहर में क्या खंडहरों की कमी है, एक से एक आलीशान खंडहर पड़े है, गरीबो के लिए जो बने थे मगर उनको मिले नही, नेता लोग अपने ऐशोआराम के लिए कभी कभी ही उनमे आते जाते है। उनमें से एकआध में आके रहने लगे।पता नही क्या है उस हवेली में??
चुड़ैल- यादें!! बहुत सारी यादें जुड़ी है उस हवेली से, और तुम.... तुम कैसे भूल गए, जब हम इंसान थे तो उसी हवेली में ही मिला करते थे। वो हवेली ही तो हमारी पहचान है, अब मरने के बाद उस हवेली के कारण ही लगता है, हम भी ऊंची जात के है।
पिशाच- अब ये जात पात कहाँ से ले आई,मैं ये सब मरने के पहले भी नही मानता था,ना अब मानता हूँ और वैसे भी मरने के बाद तो हम सब की एक ही बिरादरी के हो गए है,यही सोचकर तो तुम्हारे बाबा ने हमारी शादी करा दी थी।
चुड़ैल- तुम नही मानते थे,इसलिए तो तुमसे प्यार हो गया था। मगर तुम्हारे परिवार वालो को जब पता चला तो देखा ना क्या हाल कर दिया मेरे परिवार का ।
इसी हवेली में तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी मैं,जब तुम्हारे पिताजी के इशारे पर मेरा बलात्कार कर फांसी पे लटका दिया था। मेरे मां बाबा ने जब न्याय की गुहार लगाई तो उन्हें भी मारकर इसी हवेली में गाड़ दिया था। पर तुम ?? तुम कैसे हम लोगो मे शामिल हो गए??
पिशाच- मेरा प्यार अधूरा जो रह गया था, आना तो था ही तुम्हारे पास। हाँ!! उस दिन पिताजी ने कुछ काम से मुझे शहर भेज दिया था,इतनी जल्दी में मुझे जाना पड़ा कि तुम्हे बताने का ध्यान भी नही रहा। मेरे कारण ही तुम्हारे साथ ये सब हुआ, मैं तुमसे मिलकर जाता तो ये सब नही होता।
चुड़ैल- इसमें तुम्हारा कोई कसूर नही है,हम गरीबों की किस्मत ही ऐसी है। फिर...तुमने अपनी जान क्यों दी??
पिशाच- मुझे जब पता चला तुम्हारे बारे में, तो मैं क्या करता, अकेले जीना नही चाहता था,बस तुमसे मिलने की तमन्ना लिए हवेली की पीछे वाली खाई में कूद गया, तुम्हारे बाबा ही उठा के लाये थे, मुझे हवेली में,जहां तुम्हे देखकर मेरा मरना सफल हो गया था।
दोनों हवेली पहुँच जाते है।
भूत- आइए आइए जमाई बाबू!! स्वागत है। कैसे हो??
पिशाच - मैं ठीक हूँ बाबा!! आप कैसे हो??
भूत- बस बेटा!! मरने के बाद ज़िन्दगी सुकून से कट रही है। गांव के लोगो ने यहाँ आना छोड़ दिया तो शांति भी बहुत रहती है।आराम बहुत है,खाने पीने आसपास के गांवों में बिना मेहनत के व्यवस्था हो जाती है।
भूतनी- अरे मेरी बिटिया आ गई तू!! जमाई बाबू, तो दुबले लग रहे है, शहर में खून की कमी हो गई है क्या??
चुड़ैल- नही माँ ऐसी बात नही है, पी पीकर पेट निकलने लगा था इनका,इसलिये dieting करवा रही हूँ।
ये लो अम्मा 5 स्टार वाला खून लाई हूँ, तुम्हारे और बाबा के लिए। पीकर देखो।।
भूत- इसका स्वाद तो जमाई बाबू के पिताजी जैसा है। मज़ा आ गया।।
भूतनी- हाँ !! कभी कभी स्वाद बदलने को ठीक है,मगर रोज़ रोज़ ना पीना ये, कमज़ोरी आ जायेगी।
पिशाच- हओ अम्मा!!यही बात तो हम भी समझाते है, चुड़ैल को, मगर ये माने तब ना।। अच्छा अम्मा अब हम चलते है।
भूतनी- अरे ना बेटा!! इतनी भी क्या जल्दी है?? पास के गांव में नेताजी आ रहे है,मिल का उद्घाटन करने, उनका खून पीके निकल जाना।
पिशाच- ना अम्मा!! ये नेता लोगो के खून से हमे बदहज़मी हो जाती है।
चुड़ैल- अब माँ इतना कह रही है तो रुक जाओ ना। मैं भी कितने दिनों से किसी function में नही गई।
पिशाच- ठीक है !! तुम कहती हो तो चले चलते है।
सभी, मिल के उद्घाटन में चले जाते है।।
समाप्त
🙏🙏🙏 ✍️ गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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