Sunday 26 July 2020

मॉडर्न बंजारे

मॉडर्न बंजारे


सावन की बारिश और ख्याल तुम्हारे
भिगा देते है दोनों मन को हमारे

बारिश के पानी मे गोरैया का फुदकना
तुम्हारे ख्यालों में मेरा तड़पना

पेड़ पर बैठी कोयल की कूक
दिल मे मेरे उठाती है हूक

तारों पर बैठी चिड़ियों की पंक्ति
तुम्हारे बिना मै अकेली सिमटती

उड़ते परिंदे चुगली है करते
बताते मुझे, तुम भी ऐसे ही उड़ते

शहर दर शहर, हो रहते भटकते
घर भी आओ, तो बस काम करते

हम है तुम्हारे, काम के मारे
तुम बनके फिरते मॉडर्न बंजारे....✍️गौरव



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