मॉडर्न बंजारे
सावन की बारिश और ख्याल तुम्हारे
भिगा देते है दोनों मन को हमारे
बारिश के पानी मे गोरैया का फुदकना
तुम्हारे ख्यालों में मेरा तड़पना
पेड़ पर बैठी कोयल की कूक
दिल मे मेरे उठाती है हूक
तारों पर बैठी चिड़ियों की पंक्ति
तुम्हारे बिना मै अकेली सिमटती
उड़ते परिंदे चुगली है करते
बताते मुझे, तुम भी ऐसे ही उड़ते
शहर दर शहर, हो रहते भटकते
घर भी आओ, तो बस काम करते
हम है तुम्हारे, काम के मारे
तुम बनके फिरते मॉडर्न बंजारे....✍️गौरव
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