ना आना इस देश मेरी लाडो
ना जाने किस किस नाम से पुकारेंगे तुझे,
पैदा होते ही एक कलंक कह देंगे तुझे,
तू क्या मुझे भी ना पता होगा किसका बीज हैं तू,
सारा जीवन गुमनामी में जीना होगा तुझे,
पैदा होते ही गिध्द दृष्टि जम जाएगी तुझ पर,
बड़ी होगी तो चील कौओं सा नोंच खाएंगे तुझे,
मैं माँ होकर भी शायद कुछ ना कर पाऊं,
मेरी माँ ने भी यही जीवन दिया है मुझे,
वर्षो के इस अभिशाप को खत्म कर दो,
मैं वेश्या हूँ, मेरे गुनाह को माफ कर दो,
जा उस देश जहां तुझे सम्मान मिले,
ना आना इस देश मेरी लाडो,
ना आना इस देश मेरी लाडो...✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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