भोले कान्हा
गंगा जटा से बहाते देखा
हरिखण्ड बालो में गूँथा देखा
शशि मुकुट भी सजाए देखा
सर्पो की माला लपेटे देखा
सांवरे से तन में मैंने
नीलकंठ जगमगाते देखा
देखा अजब इक ख्वाब देखा
भोले को बंशी बजाते देखा
डमरू की धुन पे नटराज बनते
कान्हा को मैने थिरकते देखा
यमुना तट पर धूनी रमाते
मशान में रास रचाते देखा
भंगा पीते कान्हा को देखा
माखन चुराते भोले को देखा
देखा अजब इक ख्वाब देखा
भभूती लपेटे कान्हा को देखा
सोलह श्रृंगार में भोले को देखा
भोले में मैंने कान्हा को देखा
या कान्हा में मैंने भोले को देखा।।
🙏🙏🙏 जय भोलेनाथ🙏🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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