वानरी दोहा
एक डाल से दूसरी, ज्यों बंदर उछलत जाय।
देश के नेता ऐसे ही, पार्टी बदलत जाय।।
नकल उतारे बंदर की, अक्ल ना कोई लगाए।
आगे रहने की होड़ में, तलवे चाटत जाए।।
जनता के विश्वास की, धज्जियाँ देत उड़ाये।
अपराधी भी चुनाव में, संत सा बनकर आये।।
हार जीत चुनाव की,मायने ना रख पाये।
जोड़ तोड़ के कैसे भी,ले सरकार बनाये।।
जनता के सवाल पर,बंदर सा सर खुजलाये।
मीडिया से सेटिंग कर, खुद को सयाना बताये।।
मंदिर मस्जिद के आंगन में,ज्यों बंदर डेरा जमाये।
मंदिर मस्जिद को मुद्दा, त्यों नेता मन को भाये।।
करत गौरव विनती प्रभु , कोई नेता ऐसा आये।
देश को श्री राम समझ,खुद हनुमान बन जाये।।
🙏🙏
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