🙏शहीद की पत्नी🙏
तुम शहीद हुए, मैं शहीद की पत्नी हुई,
मेरी ये पहचान, सरकारी कागज़ में सिमट गई,
क्या सच मे ऐसा हुआ,
तुम बिन कैसे रहूंगी मैं ज़िंदा,
मैं भी तो संग संग,तुम्हारे शहीद हुईं।
मेरे मन का प्रेम भाव,
शहीद हुआ,
मेरे तन का आकर्षण,
शहीद हुआ,
तुम्हारे संग गुज़ारे लम्हो की,
यादों से जिंदा हूँ,
वरना मेरे वजूद का,
क्षण क्षण शहीद हुआ,
मेरा सजना सँवरना,
शहीद हुआ,
मेरे कपड़ो का रंग,
सफेद हुआ,
तुम्हारा प्यार आँखों मे ज़िंदा है,
मेरी आँखों का इंतज़ार,
शहीद हुआ।
तुम आये तिरंगे में लिपट के,
रँगा था तुमने मुझे सिंदूर से,
अंतिम बार तुम्हे देखने की चाहत थी,
पर सिर भी कहां था,
तुम्हारी लाश पे,
छलनी शरीर से लगता था ऐसे,
रिस गई थी मैं भी छिद्रों से,
वचन तुम्हे ये देती हूं,
सौगंध तुम्हारी लेती हूँ,
ना रोऊंगी ना टूटूंगी,
कमी तुम्हारी पूरी करूंगी,
तुम्हारे ख़ून की बूंद को भी,
सरहद पर लड़ने भेजूंगी,
शहीद की पत्नी के संग संग,
मैं शहीद की माँ भी कहलाऊंगी।।🙏🙏🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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