चाय का कुल्हड़
लाई भर के चाय का कुल्हड़
उसको मेरी ओर बढ़ाकर
पत्नी जी करती फरमाइश
चलो कही लाओ घुमाकर
पीछे पीछे बच्चे आये
बाहर बाहर की रट्ट लगाकर
पत्नी जी ने घेरा है
फील्डिंग बहुतई टाइट लगाकर
पीकर पूरा चाय का कुल्हड़
मैं बोला बहुत सोचकर
कोरोना को हराना है
हम सबको घर मे बैठकर
मेरे प्यारे बच्चों सुन लो
रह लो थोड़ा और संभलकर
चलते है फिर दूर कही हम
कुछ दिन थोड़ा और ठहरकर
पापा पक्का प्रोमिश
हाँ बेटा पक्का वादा
बच्चे खुश होकर निकले
पत्नी जी मुँह सुजाकर
बुरा हो कोरोना तेरा
बड़बड़ाती गाल बजाकर
थोड़ी सी हिम्मत पाकर
मैंने बोला पास बुलाकर
बैठो थोड़ा शांत होकर
पत्नी जी ने सांस खींचकर
मुझको देखा नीचे ऊपर
बोली अबसे तुम ही दोगे
सबको भरके चाय का कुल्हड़
सबको भरके चाय का कुल्हड़....
😲😭😀✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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