दोहे- डांस पे चांस
प्रतिलिपि जी बनके मदारी,ऐसे रचाते रास।
कल बनाया था हमे बंदर,आज कराते डांस ।।
डांस पे चांस मारने का,विषय दिया पकड़ाये।
नाचते नाचते कैसे लिखूं,कछु समझ नही आये।।
पत्नी जी से बोला हमने,चलो तुमको डांस सिखाये।
बोली डांस तो कर लेते पर,ये कमरा कैसे हिलायें।।
पड़ोस में रहते गेंदालाल,सोचा उनको नचाया जाए।
भाभी जी के संग डांस पे,चांस भी मारा जाए।।
दी पत्नी जी चिल्लाए,lockdown में यूं ना बाहर जाएं।
लट्ठ पड़ेगा कमरिया पर तो,सारा डांस निकल ना जाए।।
थक हार के हमने सोचा,खुद ही डांस किया जाये।
डांस पे चांस विषय पे लिखने,कुछ तो दिमाग मे आये।।
नाचते नाचते पैर मुरच गया, हम बिस्तर पे आये।
माफ करो जी हमें प्रतिलिपि,हम ना कुछ लिख पाये।।
🤣🤣😀😀🙏🙏
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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