मेरे देश की धरती
मेरे देश की धरती की है कथा
जो तुमको आज सुनाता हूँ
भारत की भूमि पर जन्में
वीरों की गाथा गाता हूँ।।
सतयुग में थे ऋषि मुनि
इस धरा की पूजा करते थे
प्रकृति के साथ मे रहकर
जीवन यापन करते थे।।
त्रेता में श्री राम ने भी
इस धरा का मान बढ़ाया था
अत्याचारी का वध कर
इस धरा को मुक्त कराया था।
द्वापर में कान्हा ने भी
इसी धरा पे रास रचाया था
महाभारत कर दुष्टों का
इस धरा पे लहु बहाया था
सिकंदर भी इस धरती को
जब फतह करने आया था
धरती के बेटे चाणक्य ने
उसको धूल चटाया था
मुग़लो ने जब आक्रमण कर
इस धरती को कब्जाया था
वीर शिवाजी,राणा ने फिर
धरा का कर्ज चुकाया था
अंग्रेज़ों का मन, पाने
इस धरती को ललचाया था
झांसी की रानी मर्दानी ने
नरसंहार मचाया था।
राजनीति षडयंत्र से जब
स्वार्थ सिद्ध कराया था
इस धरती के टुकड़े करके
विभाजन इसका कराया था
जब जकड़ी गुलामी के बेड़ी
इस धरती ने मान गंवाया था
क्रांतिकारियों ने कुर्बानी
दे स्वतंत्र कराया था।
जय जवान जय किसान वाला
धरती का लाल बहादुर था
युद्ध किया दुश्मन से उसको
घर मे घुसकर मारा था।
ये धरती है बलिदानों की
बलिदान पे शीश झुकाता हूँ,
मेरे देश की धरती पे जन्में
वीरों की गाथा गाता हूँ।।
दक्षिण में सागर,भूमि का
पग प्रक्षालन करता है,
उत्तर में हिमालय सर पर
मुकुट बनकर रहता है।
विश्व की सर्वश्रेष्ठ धरा पर
जन्मा, ये सौभाग्य पाता हूँ
मेरे तन का रोम रोम माँ
तेरी भेँट चढ़ाता हूँ।।
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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