Sunday 26 July 2020

माँ से आरम्भ माँ पे अंत

माँ से आरम्भ माँ पे अंत


तुमसे ही आरम्भ मेरा,


तुमपे ही तो अंत है,


गीत हो चाहे हो जीवन


सब तुम्हारे संग है,


तुमसे ही आरम्भ मेरा,


तुमपे ही तो अंत है,


ओ माँ मेरी माँ....


मेरी उंगलियां,पकड़कर


तुमने चलना सिखा दिया,


मेरे इशारो को समझकर,


शब्द गढ़ना बता दिया


दे कलम हाथों में मेरे,


लिखना मुझको सिखा दिया,


आज मैं लिखता हूँ जो भी,


सब तुम्हे अर्पण किया


मेरे तन मन मे घुला जो


तेरा ही तो रंग है,


तुमसे ही आरम्भ मेरा,


तुमपे ही तो अंत है,


ओ माँ.. मेरी माँ...


मैं अकेला कब रहा,


तुम साथ मेरे हर घड़ी,


मुश्किलों के दौर में


चट्टान बनकर तुम खड़ी,


इम्तिहान-ए-ज़िन्दगी में,


वीर बनकर तुम लड़ी,


हार ना मानो कभी


दी मुझको ये शिक्षा बड़ी,


तेरे आदर्श ही तो मेरी,


ज़िन्दगी का अंग है,


तुमसे ही आरम्भ मेरा,


तुमपे ही तो अंत है,


ओ माँ....मेरी माँ....💖🙏✍️गौरव


भोपाल मध्यप्रदेश




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