Sunday 26 July 2020

मैंने पूछा चाँद से

मैंने पूछा चाँद से

मैंने पूछा चाँद से
के मेरे यार सा हसीं
देखा है कहीं.....

वो बोला ही नही
वो बोला ही नहीं.....

मैंने पूछा चाँद से
के मेरे यार सी हंसी
सुनी है क्या कहीं

वो बोला ही नहीं
वो बोला ही नहीं.....

मैंने पूछा यार से
चाँद बोलता क्यूँ नही
यार ने....

पहले मुझे अच्छे से धोया फिर कहा....

बड़ा आशिक़ हो रिया है.....,पढ़ाई लिखाई सब चूल्हे में डाल दी क्या,....बचपन में नही पढ़ा चाँद,पृथ्वी का उपग्रह है,पृथ्वी की परिक्रमा करता है। 

चाँद है ये कोई इंसान नही है,
उपग्रह है पृथ्वी का
उसमे जीवन नहीं है।।
ये जो चांदनी है ना, 
ये भी चाँद की नही है,
सूरज की रोशनी से ही 
चाँद चमकता है,
उसका अपना कुछ नही है।।

चल मान ले,इंसान भी होता तो तुझे मुंह क्यों लगाता बे....अबे शक्ल देख अपनी गली से निकलता है तो कुत्ते भोंकते है तुझपे..... वो तक तुझे मुंह नही लगाते तू चाँद की बात करता है।😁😁
और सुन उस चांद की छोड़,अपने इस चाँद की चिंता कर,इस पतझड़ को संभाल वरना ज़िन्दगी भर चाँद से ही बातें करता रहेगा।🤣🤣🤣

Finally मेरे यार ने अच्छे से ठोक बजा के मेरे सारे doubt clear कर दिए,जो ये चाँद ना कर सका।😜😜

अब मैं चाँद से नही अपने यार से ही सब कुछ पूछता हूँ,और गाता हूँ,

मेरे सवालों का जवाब है तू
मेरा यार नही,मेरा चाँद है तू.....🙏🙏🙏✍️गौरव


चाँद प्रेमी या अन्य किसी भी भावनाओ को ठेस पहुंची हो तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।।।

धन्यवाद!!!

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