वो जो कहती थी, मैं भूल जाया करती हूँ
आज मिली तो, सालों पुरानी बातें कर रही थी,
बहुत दिलचस्प हो गया हूँ अब मैं उसके लिए,
मुझसे मिलके मेरी ही बातें याद कर रही थी....
उसकी आँखों में थी एक नई सी चमक,
जैसे बरसों बाद मिला हो कोई खोया हुआ शख्स,
दिल की गहराइयों में मेरी बातें टटोल रही थी,
मेरे लफ्ज़ों को वो आज भी संभाल रही थी....
उसकी हर बात में थी एक अनकही सी बात,
जैसे अधूरी रह गई हो कोई पुरानी मुलाकात,
उसके लहजे में थी सादगी, था एक ठहराव,
जैसे वक्त ने बाँध लिया हो उसका हर एक भाव...
मेरी हर याद को वो दिल से लगा रही थी,
मुझमें खोकर जैसे खुद को ही पा रही थी...
मुझमें खोकर जैसे खुद को ही पा रही थी...✍️गौरव
05.07.2025
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