गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम
नानी की गोदी में लाड़ से
फिर से बैठ जाना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम....
बचपन साथ ले जाना तुम
नानी की गोदी में लाड़ से
फिर से बैठ जाना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम....
गांव की तंग गलियों में
उबड़ खाबड़ मिट्टी में
नंगे नंगे पैरो से जैसे
बचपन मे खेला करते थे
वैसे खेल के आना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम...
जाना आम के पेड़ तले
जिसमे कभी थे झूले डले
शायद कैरी खाई हो तुमने
बचपन मे झूले झूल झूल के
फिर उन झूलों पे
झूल के आना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम...
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम...
माना अब पक्के मकान है वहां
पर कच्चे भी देख आना तुम
पलंग से उतरकर एक बार
खटिया पे लेट जाना तुम
मिट्टी की सौधि सौंधी महक
सांसो में भरकर लाना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम...✍️गौरव
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