Tuesday 26 May 2020

बचपन

गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम
नानी की गोदी में लाड़ से
फिर से बैठ जाना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम....

गांव की तंग गलियों में
उबड़ खाबड़ मिट्टी में
नंगे नंगे पैरो से जैसे
बचपन मे खेला करते थे
वैसे खेल के आना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम...

जाना आम के पेड़ तले
जिसमे कभी थे झूले डले
शायद कैरी खाई हो तुमने
बचपन मे झूले झूल झूल के
फिर उन झूलों पे 
झूल के आना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम...

माना अब पक्के मकान है वहां
पर कच्चे भी देख आना तुम
पलंग से उतरकर एक बार
खटिया पे लेट जाना तुम
मिट्टी की सौधि सौंधी महक
सांसो में भरकर लाना तुम
गांव जा रहे हो तो
बचपन साथ ले जाना तुम...✍️गौरव


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