Saturday 2 May 2020

रोज़ जारी रहती है...

रोज़ जारी रहती हैं
कोशिशे जिंदा रहने की
तुमसे कुछ सुनने
तुम्हे कुछ कहने की
अपनी गलतियों का
पछतावा है मुझे
बस अब और नही है
हिम्मत सहने की
मै किसी और का हो गया
ये तो कभी नही हुआ
तुम क्यों रखती हो आरज़ू
किसी और के होने की
अभी अभी तो सीखा है
मोहब्बत का फ़लसफ़ा
तमाम उम्र करनी है कोशिश
तुम्हे खुश रखने की
जो बीत गया उसे
बुरा दौर समझ आगे बढ़ो
जरूरत नही यादों की जंजीरों में
बंधकर चलने की
मै मेरा घर परिवार तुमसे है
तुमको भी करनी है कोशिश
ये तस्वीर बदलने की..... :- गौरव
         

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