सांसो की साज़ पे चलता,धड़कन से गुजरता है
मेरी यादों में जख्म सा एक प्यार का नग़मा है।
तन्हाई के आलम में मेरी आँखों से बरसता है,
गिर्दाब-ए-दर्द सा एक प्यार का नग़मा है। गिर्दाब - बबंडर
मुद्दतों से मेरे जेहन को इज़्तिराब अता करता है
बेख़ता इश्क़-ए-इब्तिला सा एक प्यार का नग़मा है।
इज्तिराब - बैचेनी,घबराहट,चिंता, बेख़ता -निर्दोष, इब्तिला- दुर्भाग्य , पीड़ा
तमाम उम्र की उकूबत है तो नदीम बनके रहता है,
मेरे दर्द की दवा सा एक प्यार का नग़मा है।
उकूबत - सज़ा, नदीम- घनिष्ट मित्र
✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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