Sunday 7 June 2020

उम्मीद

आज फिर तुमसे मिला,आज फिर उम्मीद जगी है,
तेरे दिल को भी, मोहब्बत की तलब, अब भी लगी है।


कैसे कह दूं, कि मैं, तन्हा हूँ, भरी दुनिया मे,
जो मिला मुझको,मुझे, तेरी झलक, उसमे मिली है।


बन के ख़ुशबू, कभी बिखरे थे, मेरी, सांसो में,
मेरे जेहन में, वो, सौंधी सी महक, अब भी बची है।


और क्या बाक़ी है, दस्तूर-ए-इश्क़ निभाने को,
मेरी हर सांस तेरी सांस से अब भी जुड़ी हैं। ✍️गौरव
 
भोपाल मध्यप्रदेश

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