Wednesday 17 June 2020

ग़ज़ल- शहर

मैं तेरे शहर से होकर, जब गुजरता हूँ,
तेरी खुशबू से मेरी, सांस महक जाती है।
मैं तेरे शहर से होकर, जब गुजरता हूँ.....

दूर से आया हूँ मैं, दूर तलक जाऊँगा,
बीच मे तेरा शहर, बस यही रुक जाती है।
मैं तेरे शहर से होकर, जब गुजरता हूँ....

देखता हूँ झरोखों से, शहर का मंजर,
तेरी यादें बेहिसाब, चली आती है।
मैं तेरे शहर से होकर जब गुजरता हूँ....

तुम नही थे तो मैं, शान से गुज़रता था
अब जो तुम हो तो क्यूँ,आंख ये भर आती है।
मैं तेरे शहर से होकर, जब गुजरता हूँ....

जानते हो,किसी को,शहर में "गौरव"
जिक्र से तेरे,  लबों पर खुशी आती है।
मैं तुझे खुदमें रखूं ज़िंदा,बस इसी खातिर,
मैं तेरे शहर से बार - बार गुजरता हूँ....
मैं तेरे शहर से बार - बार गुजरता हूँ....✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश

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