ना बोले तुम, ना मैंने कुछ कहा,
एक अनजाना, सा रिश्ता जुड़ गया।
लब सिले सिले रहे जुबां भी जैसे जम गई,
नज़र मिली नज़र से और, दिल हमारा खो गया।
प्रेम की लहर पे, दो कश्तियाँ उतर गई,
ख़्वाब के हिलोरों पे, दिल मचल मचल गया।
उनकी एक नज़र में ही, अहसास मुझको हो गया
चेहरों की भीड़ में भी, मैं खास जैसे हो गया।
प्यार की कहानियां, पढ़ी बहुत किताब में,
उनको देखकर लगा कि, मुझको प्यार मिल गया।
खुशबुएँ गुलाब की, बिखेरती निकल गईं,
तुम गयीं या कारवां, बहारों का गुजर गया।
ना बोले तुम, ना मैंने कुछ कहा,
एक अनजाना, सा रिश्ता जुड़ गया। ✍️गौरव
भोपाल मध्यप्रदेश
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