Saturday, 13 June 2020

तिश्नगी ग़ज़ल

तुमको पाकर भी यूँ लगा मुझको
ज़िन्दगी में कुछ कमी सी है
बहते आँसू ना दिखे मुझको
फिर भी आंखों में कुछ नमी सी है।

मेरी आगोश में तो शाम से है
रात फिर भी मुझे जगी सी लगी
कह दो ना इश्क़ नही रहा मुझसे
क्यूँ ये बेतकल्लुफ़ी सी है।

क्या गिला शिक़वा अब करूँ तुझसे
दिल की बाते दिमाग़ी सी लगी
तुम चले जाओ मेरे पहलू से
मेरी सांसो की भी रुख़्सती सी है।

लोग कहते है मोहब्बत जिसको
वो तुम्हारे लिए तिश्नगी सी है
तुमको पाकर भी यूँ लगा मुझको
ज़िन्दगी में कुछ कमी सी है....✍️गौरव

भोपाल मध्यप्रदेश
9424557556

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