Thursday, 22 February 2024

क्षणिकाएं

                                  क्षणिकाएं 

१) दीवारों पर ना सही,

दिल में उनके निशां,

आज भी है,

गैरों में ना सही, 

अपनो में हम बेगाने,

आज भी हैं,

कुछ इस तरह है बयां, 

अपनी मोहब्बत का फ़लसफ़ा,

वो किसी और के हो गए,

हम उनके दीवाने,

आज भी है।।

✍️गौरव 24.01.2023


२) बाइज़्ज़त निकली थी घर से,तेरी गली में बेइज़्ज़त हो गई,

हया का पर्दा हटा नज़र से,कम्बख्त मोहब्बत हो गई।। 

✍️गौरव 24.01.2023


शेर- इज़ाज़त

तुम जो करते हो,उसकी इज़ाज़त, किसी और को नही है,
मगर सिर्फ और सिर्फ दिल दुखाना ही,मोहब्बत तो नही है।

🙏✍️गौरव

२२.०७.२०२०


शेर- ज़ज्बात

जज़्बात आज भी, मेरे ठहरे है,
जुबां पे आज भी, मेरे पहरे है,
मैं गुमगश्त हूँ, तेरी यादों में,
ज़ख़्म-ए-दिल आज भी,मेरे गहरे है।।

✍️गौरव १९.०७.२०२०

गुमगश्त- खोया हुआ


इंतज़ार

आज फिर जेहन में तेरी यादों ने डाला डेरा

मेरी सांसो को तेरी ख़ुशबू ने आके घेरा 

खुदाया कब तलक तड़पना है मुझे ये तो बता

खत्म होगा या नही ये इंतज़ार मेरा....🙏 ✍️गौरव

०४.०९.२०२०



शेर- परवाज़ 

घाव गहरे तो है मगर, अभी और चोट खाना बाकी है,
तुम्हारी नज़रों में आया हूँ, अभी दिलों में आना बाक़ी है ।।
परिंदों से कह दो, परवाज़ ऊंची ही रखें,
निगाहें आसमाँ पर मेरी,बस, पर फैलाना बाक़ी है।।


✍️गौरव 

१६.०७.२०२०

भोपाल मध्यप्रदेश



सीधा उल्टा एक, जादुई शेर

1)   सीधा-  खुशियाँ मिली कभी, कभी मिले ग़म,


                          खुदा तेरी इनायत है,आगे बढ़ते रहे हम।।

उल्टा- हम रहे बढ़ते आगे,है इनायत तेरी खुदा,
          ग़म मिले कभी,कभी मिली खुशियाँ।।


2) सीधा- एक मेरी चाहत, चरण तेरे श्याम,
                    एक मेरी मन्नत, बस चिंतन तेरा श्याम।
              तुझमे घुल जाए,जीवन मेरा श्याम,
             एक मेरी हसरत,दर्शन तेरे श्याम।।


उल्टा- श्याम तेरे चरण,चाहत मेरी एक,
         श्याम तेरा चिंतन बस,मन्नत मेरी एक।
         श्याम मेरा जीवन,जाए घुल तुझमे,
         श्याम तेरे दर्शन,हसरत मेरी एक।।

✍️गौरव

16.07.20

भोपाल मध्यप्रदेश


रोज़ी रोटी की तलाश में, ठिकाने बदलते रहे,

हर दौर में गरीबों के, आशियाने बदलते रहे,

ना मंज़िल हुई हसिल, ना सफर ही हुआ खत्म

वो चलते रहे 'बेखबर' ज़माने बदलते रहे...✍️गौरव ३१.०५.२०


मोहब्बत में बहाने बदलते रहे,
नज़रों के निशाने बदलते रहे,
हम बदल ना सके, उनके मुताबिक़,
वो अपने मुताबिक़, ठिकाने बदलते रहे।✍️गौरव ३१.०५.२०


शेर - राब्ता 

मेरा और समन्दर का,इतना है राब्ता,

मेरे आँसू खारे, उसका पानी खारा....।।

✍गौरव १०.०६.२०२२


शेर- डायरी

पन्नों - पन्नों पर,डायरी के, कतरा - कतरा सी,ज़िन्दगी है।

तन्हा - तन्हा से लफ़्ज़ों में, भीगी - भीगी सी शायरी है।।

✍️गौरव १०.०६.२०२२


आफताब ढल गया,बातों ही बातों में,

मैं थाम के बैठा रहा, हाथों को हाथों में

बेसब्री से था इंतज़ार जिस मुलाकात का

मिलकर वक़्त गुजर गया,आंखों ही आंखों में..✍️गौरव २९.०५.२०२०


शेर- अधूरी मोहब्बत


सिरहाने तकिये के,हर रात बसर करती है,

अधूरी मोहब्बत भी,ताउम्र असर करती है।।

✍️गौरव १०.०६.२०२२


ए बारिश ज़रा सीख ले बरसने का कायदा

जिनकी छत टपकती हो उन्हें डुबोने से क्या फायदा..

✍️गौरव ०४.०९.२०२०


बहुत खूब




ग़म में लिखे लफ्जों को,खुशी के गीत दे दूँ,


अपनी किसी ग़ज़ल को,नया रूप दे दूँ ।


तुमको देखा जो आज बारिश में, भीगते हुए,


यूँ लगा जिंदगीं को आज, "बहुत खूब" कह दूँ।


✍️गौरव १२.०७.२०२०


शेर


बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
चर्चे मेरे होंगे तो मशहूर तू भी हो जाएगी।। ✍️गौरव ०४.०९.२०२०


निकल जाता हूं तुम्हे छोड़कर

यूँ घर मे रहकर बरकत नही मिलती

प्यार के रास्ते मे अक्सर

पक्की सड़क नही मिलती

मिलता तो सब है यहां 

दिल को बहलाने को

नही मिलती तो तुम्हारे हाथ की चाय कड़क नही मिलती।।


वोभी क्या दौर था,

जब जज्बात कागज पर 

उकेरे जाते थे,

हर लफ़्ज में लिखने वालों के 

चेहरे देखे जाते थे,

बार बार लगातार खत के 

मज़मून को पढ़ा जाता था,

हर बार आँखों मे 

अश्क देखे जाते थे,

खत आज भी लिखे जाते है,

इस नए दौर में,

बिन कागज,बिन जज़्बात 

बस टाइप किये जाते है,

गुज़रे ज़माने के खत,

आज भी मिल जाते है,

पुराने संदूकों में,

पर आजकल स्पैम,रिसायकल बिन, 

या ड्राफ्ट में रखे जाते है,

कई किस्से,कहानियां 

थी शामिल उन खतों में,

जो आज भी जहन में 

याद रखे जाते है,

अब उंगलियों में दर्द के नए दौर में,

इतना कौन टाइप करे,

इसी में आलस खा जाते है,

मोहब्बत ने भी रंग बदला है,

खतों की तरह,

अब मोहब्बत के नाम पर,

टाइम पास किए जाते है।


तेरे प्यार में खोए हम इस कदर

के ये ज़माना भूल गए 2

भूल गए सारे रंजोगम

दुश्वारियों के सब आलम2

अपनी आंखों के सारे अश्क़ भूल गए

के ये ज़माना भूल गए2

जब से मिली है अँखियाँ तुमसे

हटती नही है नज़रे तुमसे

देखूँ क्या कुछ ऐसा नही है

जो हो सुंदर बढ़कर तुमसे

तेरी नज़रों से घायल ऐसे हो गए

के ये ज़माना भूल गए.....!!


अब गम में ही जीना भाता है मुझे,

तेरी यादों में ही सुकून आता है मुझे,

अब तेरे आने से भी उतनी खुशी नहीं होगी, 

जानते है, अब तू आ भी जाएगी तो भी मेरी नहीं होगी।




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