Thursday 22 February 2024

दर्द ही दर्द

 


गुबार है धूल का

प्यार की भूल का

मोहब्बतों का कारवां 

गुज़र गया

दर्द ही दर्द 

अब रह गया

दर्द ही दर्द 

बस रह गया....


कच्ची सी डगर है ये

बबूल शूल से भरे

रास्ते में छोड़कर 

किधर गया

दर्द ही दर्द 

अब रह गया

दर्द ही दर्द 

बस रह गया...


तुम पुकार लो 

कहीं से एक बार

मै भटक रहा/रही 

तुम्हे ही खोजते

जानना है क्या कसूर

था मेरा

क्यूँ तू इतना बेवफ़ा

हो गया

दर्द ही दर्द 

अब रह गया

दर्द ही दर्द 

बस रह गया...

गुबार है धूल का

प्यार की भूल का

मोहब्बतों का कारवां 

गुज़र गया

दर्द ही दर्द 

अब रह गया

दर्द ही दर्द 

बस रह गया....।।

✍️गौरव

27.11.2020

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