पाषाण ये विशाल पथ में है खड़े
चीरकर पर्वतों का सीना बढ़े चले
तुझसे मिलने हम है आ रहे
हे अमरनाथ हम है आ रहे...
हे भोलेनाथ हम है आ रहे....
चमकती हो बिजलियां या मेघ छाए
धसकते हो पहाड़ या सैलाब आए
मुश्किलें भले ही काल कितनी भी बढ़ाए
तेरे दर्शनों के लिए हम तो चलते जाए
महाकाल साथ हो तो काल क्या करे
हे अमरनाथ हम है आ रहे...
हे भोलेनाथ हम है आ रहे....
✍️गौरव
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