तेरे इश्क़ ने...
जो ना देखा था कभी वो,तेरे इश्क़ ने दिखा दिया,
यूँ ना था बेबस कभी मैं, तेरे इश्क़ ने बना दिया।।
महफिलों में यारों की,अपना एक रुतबा था,
यूँ ना था तन्हा कभी मैं,तेरे इश्क़ ने करा दिया।।
मसखरी की मस्तियाँ थी,ज़िन्दगी के खजाने में,
यूँ ना था रोया कभी मैं,तेरे इश्क़ ने रुला दिया।।
हसरतों ने सिखाये थे, हुनर हमें ज़माने के,
एक यूँ बदनाम होना, तेरे इश्क़ ने सिखा दिया।।
हौंसले की कश्तियों से, था मैं साहिल ढूंढता,
बेवफाई के भंवर में, तेरे इश्क़ ने डूबा दिया।।
ख्वाब देखे थे जो हमने,तारे तोड़ लाने के,
टूटकर आसमाँ से ओझल,तेरे इश्क़ ने करा दिया।।
ख्वाहिशें अब भी है बाक़ी, गौरव इश्क़ करने की,
यूँ ना था ज़िद्दी कभी मैं, तेरे इश्क़ ने बना दिया।।
🙏🙏🙏✍️गौरव
05.08.2020
भोपाल मध्यप्रदेश
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