ए ज़िन्दगी अब तुझमें वो बात नही रही
अब पहले जैसी वो तरबियात नहीं रही
वो हक़ के लिए लड़ाना,
सीखना सिखाना
संघर्ष की ज़मीन पर
गिराना चलाना
सपने दिखाकर
मेहनत कराना
थकाना और थकाकर
पल भर सहलाना
अब तुझमे वो सारी
खुराफ़ात नही रही
पहले जैसी अब तू
तुनकमिजाज नही रही
ए ज़िन्दगी अब तुझमे
वो बात नही रही।।
✍️गौरव
20.09.2025
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