झोंका-ए-हवा
जब भी छूता है कोई झोंका-ए-हवा तन को,
तेरी मौजूदगी का होता है, एहसास मुझे।
तू तो मौसम की तरह रंग बदल जाता है,
फिर भी माना है मैंने मेरा, आसमान तुझे।
मेरी आँखों में ठहरे लम्हे, मुलाक़ातों के,
मेरे हर ग़म से वही देते हैं, निज़ात मुझे।
तेरी नाराज़गी की हर वजह मिटा दूँगा,
तू जो लौटे तो बता दूं मेरे ज़ज्बात तुझे।
तेरी यादों में, एक खुशनुमा सी ताज़गी है,
उम्र भर देती है जीने की जो सौग़ात मुझे।
✍️गौरव
26.09.2025