Friday, 26 September 2025

झोंका ए हवा

 झोंका-ए-हवा


जब भी छूता है कोई झोंका-ए-हवा तन को,

तेरी मौजूदगी का होता है, एहसास मुझे।


तू तो मौसम की तरह रंग बदल जाता है,

फिर भी माना है मैंने मेरा, आसमान तुझे।


मेरी आँखों में ठहरे लम्हे, मुलाक़ातों के,

मेरे हर ग़म से वही देते हैं, निज़ात मुझे।


तेरी नाराज़गी की हर वजह मिटा दूँगा,

तू जो लौटे तो बता दूं मेरे ज़ज्बात तुझे।


तेरी यादों में, एक खुशनुमा सी ताज़गी है,

उम्र भर देती है जीने की जो सौग़ात मुझे।

✍️गौरव

26.09.2025

ज़िन्दगी

 ए ज़िन्दगी अब तुझमें वो बात नही रही

अब पहले जैसी वो तरबियात नहीं रही

वो हक़ के लिए लड़ाना,

सीखना सिखाना

संघर्ष की ज़मीन पर

गिराना चलाना

सपने दिखाकर

मेहनत कराना

थकाना और थकाकर

पल भर सहलाना

अब तुझमे वो सारी

खुराफ़ात नही रही

पहले जैसी अब तू

तुनकमिजाज नही रही

ए ज़िन्दगी अब तुझमे

वो बात नही रही।।

✍️गौरव

20.09.2025

Monday, 15 September 2025

अधूरी मोहब्बत

 


अधूरी मोहब्बत


सिरहाने तकिए के हर रात गुज़र करती है,

अधूरी मोहब्बत भी ताउम्र असर करती है।


शुआ-ए-आफ़ताब में सब कुछ भुला देती है,

बे-नूर रतजगों में दिल को बेसबर करती है।

अधूरी मोहब्बत भी ताउम्र असर करती है।


तन्हाई में ही नहीं, महफ़िलों में भी अक्सर,

हर खुशनुमा लम्हे में कुछ तो क़सर करती है।

अधूरी मोहब्बत भी ताउम्र असर करती है।


हमसफ़र भी मिला, मंज़िलें भी मिल गईं,

बीती मोहब्बत फिर भी यादों में सफ़र करती है।

अधूरी मोहब्बत भी ताउम्र असर करती है।


गुज़िश्ता लम्हों के गुलशन से गुज़रकर देखा,

सूखे गुलाबों में खुशबू अब भी बसर करती है।

अधूरी मोहब्बत भी ताउम्र असर करती है।


कहकहों की भीड़ में देखता है गौरव,

वो आँखों में छुपे अश्क़ सा बसर करती है।

अधूरी मोहब्बत भी ताउम्र असर करती है।

✍️गौरव 

15.09.2025 

8:00 PM