Monday, 5 August 2024

सतपुड़ा के घने जंगल

Intro

सतपुड़ा के घने जंगल

ताज़गी से भरे जंगल

Verse 1

सतपुड़ा के घने जंगल

ताज़गी से भरे जंगल

प्राण देते है धरा को

चूमते आकाश जंगल

सतपुड़ा के घने जंगल

ताज़गी से भरे जंगल

Instrumental break

Verse 2

दूर चोटी है निहारती

बादलों की ओट से

कैसे बारिश की ये बूंदे

बनके झरने करती कलकल...

सतपुड़ा के घने जंगल

ताज़गी से भरे जंगल

Instrumental break 

Verse 3

इतने अद्भुत अनूठे है

स्वयं शिव भी यहां बैठे है

देते आश्रय कई जीवों को

कइयों के घर चलाते जंगल....

सतपुड़ा के घने जंगल

ताज़गी से भरे जंगल

Instrumental break

Verse 4

रात के आँचल में लिपटे

दिन को मुँह चिढ़ाते जंगल

रोशनी की रश्मियों को

लताओं में उलझाते जंगल.....

सतपुड़ा के घने जंगल

ताज़गी से भरे जंगल

Bridge

अपनी बनाई इस कृत्रिम दुनिया से

निकलो कभी इस मोह माया से

जीवन को सम्पूर्ण करने

जाओ, तुम्हे बुलाते जंगल

Outro

सतपुड़ा के घने जंगल

ताज़गी से भरे जंगल

प्राण देते है धरा को

चूमते आकाश जंगल

सतपुड़ा के घने जंगल

ताज़गी से भरे जंगल

जीवन को सम्पूर्ण करने

जाओ, तुम्हे बुलाते जंगल

जाओ, तुम्हे बुलाते जंगल

 जाओ, तुम्हे बुलाते जंगल ✍️गौरव 

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