Intro
सतपुड़ा के घने जंगल
ताज़गी से भरे जंगल
Verse 1
सतपुड़ा के घने जंगल
ताज़गी से भरे जंगल
प्राण देते है धरा को
चूमते आकाश जंगल
सतपुड़ा के घने जंगल
ताज़गी से भरे जंगल
Instrumental break
Verse 2
दूर चोटी है निहारती
बादलों की ओट से
कैसे बारिश की ये बूंदे
बनके झरने करती कलकल...
सतपुड़ा के घने जंगल
ताज़गी से भरे जंगल
Instrumental break
Verse 3
इतने अद्भुत अनूठे है
स्वयं शिव भी यहां बैठे है
देते आश्रय कई जीवों को
कइयों के घर चलाते जंगल....
सतपुड़ा के घने जंगल
ताज़गी से भरे जंगल
Instrumental break
Verse 4
रात के आँचल में लिपटे
दिन को मुँह चिढ़ाते जंगल
रोशनी की रश्मियों को
लताओं में उलझाते जंगल.....
सतपुड़ा के घने जंगल
ताज़गी से भरे जंगल
Bridge
अपनी बनाई इस कृत्रिम दुनिया से
निकलो कभी इस मोह माया से
जीवन को सम्पूर्ण करने
जाओ, तुम्हे बुलाते जंगल
Outro
सतपुड़ा के घने जंगल
ताज़गी से भरे जंगल
प्राण देते है धरा को
चूमते आकाश जंगल
सतपुड़ा के घने जंगल
ताज़गी से भरे जंगल
जीवन को सम्पूर्ण करने
जाओ, तुम्हे बुलाते जंगल
जाओ, तुम्हे बुलाते जंगल
जाओ, तुम्हे बुलाते जंगल ✍️गौरव
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