Monday 11 February 2013

जिंदगी मेरी

तमन्नाओ से परे झांकती जिंदगी मेरी,
हजारों ख्वाब सजाती जिंदगी मेरी,
तुम्हारा साथ पाने को बेक़रार हर घड़ी,
तुम्हारा इंतज़ार करती जिंदगी मेरी,
सालों से गुज़ारे तमाम तन्हा लम्हों में,
किसी का साथ पाने की ख्वाहिश करती,
किसी को अपना बनाने की चाहतो से भरी,
यूँही वीरान सी रही जिंदगी मेरी,
आज तुमको देखा है सजी संवरी जिंदगी की तरह,
आज तन्हाईयों के कांटे फूल बनने लगे है,
तुम्हारी आँखों में भी मेरी ही बात थी,
शायद कह रही थी मुझसे,
हाँ, तुम्ही तो हो,
तुम्ही तो हो जिंदगी मेरी,.........

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