Sunday 16 August 2020

"रूठे ख्वाब मना लूँगा"

 

"रूठे ख्वाब मना लूँगा"

जब भी मन करे, तुम बता देना...
मैं लिख दूंगा, वही जो हो, तुम्हे पढ़ना,
तुम चाहोगी गर, दिन को मैं रात लिखूं,
मैं दिन में, तारो की बरसात करा दूंगा,
तुम चाहो, रातें डूबी हो रोशनी से,
मैं चाँद को, सूरज का टुकड़ा बना दूंगा
जब भी मन करे, तुम बता देना
मैं लिख दूंगा, वही जो हो, तुम्हे पढ़ना.....

तुम चाहोगी, दिल की बातें साफ मैं कहूँ,
मैं दिल को, छूने वाला शेर सुना दूंगा,
जो पूछोगी, मैं तुमसे कितना प्यार करूँ?
मैं लफ्ज़, लहु से लिखकर ग़ज़ल बना दूंगा,
जब भी मन करे, तुम बता देना
मैं लिख दूंगा, वही जो हो, तुम्हे पढ़ना.....

तुम जब जब, रूठोगी मेरी बातों से,
मैं अपनी कविताओं से, तुम्हे मना लूंगा,
तुम घिर जाओगी, जब बिखरी बिखरी यादों में,
मैं सुना कहानी, तुमको पास बुला लूंगा,
तुम सोचोगी, जो टूटे टूटे ख्वाबों को,
तुम्हे गले लगा के, रूठे ख्वाब मना लूंगा,
जब भी मन करे, तुम बता देना,
मैं लिख दूंगा, वही जो हो, तुम्हे पढ़ना.....

🙏🙏🙏✍️गौरव


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